कमल जगाती/नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास भत्ता व अन्य सुविधाओं में हुए खर्चे को माफ करने संबंधी जनहित याचिका में सरकार द्वारा लाये गए अध्यादेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका का फैसला सुरक्षित रख दिया गया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को ये भी छूट दी है कि यदि सरकार इस बीच मामले में कोई एक्ट बनाती है तो वो उसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
मामले के अनुसार देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने राज्य सरकार के उस अध्यादेश को जनहित याचिका के रूप में चुनौती दी, जिसमें सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के बकाया किराए को माफ कर दिया था। जनहित याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। इससे पूर्व मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी, स्व. नारायण दत्त तिवारी, विजय बहुगुणा और रमेश पोखरियाल निशंक को घर खाली कर ब्याज समेत बाजार मूल्य से किराया भरने को कहा था।
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. नारायण दत्त तिवारी को नोटिस की श्रेणी से बाहर किया है। याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्होंने और राज्य सरकार ने न्यायालय को लिखित जवाब दे दिए हैं। आज न्यायालय ने उन्हें ये आजादी दी है कि अगर सरकार की तरफ से कोई संशोधन हुआ है तो वे उसे लेकर न्यायालय आ सकते हैं। न्यायालय ने अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया है।