कमल जगाती/नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय में हरिद्वार जिले की प्रधान और उनके पति द्वारा सरकार से आवंटित पैसों के खर्च में किए गई भ्रष्टाचार के मामले में आज पंचायती राज सचिव व्यग्तिगत रूप से उपस्थित हुए। न्यायालय ने उनके खिलाफ पूर्व के आदेश का पालन नही करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सचिव ने खण्डपीठ को बताया कि उन्हें न्यायालय के आदेश की जानकारी नही हुई और ना ही उनको न्यायालय के आदेश की कॉपी मिल पाई, जिस पर न्यायालय ने नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें दोबारा से एक सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
मामले के अनुसार हरिद्वार निवासी मांगेराम सैनी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था की रुकडी तहसील में तीन गांव वाले रामबड़ेरी और राजपूताना की प्रधान, उनके पति और गांव के पंचायत सदस्यों द्वारा सरकार से आवंटित पैसों के खर्च में घपला किया गया। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने सबसे पहले वर्ष 2018 में प्रधान और प्रधान पति के विरुद्ध एफ.आई.आर.दर्ज कराई थी जिसमें आजतक इस पर कोई कार्यवाही नहीं हई। पता करने पर जानकारी मिली कि फ़ाइल स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम(एस.आई.टी.)के दफ्तर में पड़ी है। उसके बाद याचिकाकर्ता ने जिलाधिकारी को भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रत्यावेदन दिया और बताया कि हर व्यक्ति इससे प्रभावित है। जिलाधिकारी हरिद्वार ने एस.एस.पी.हरिद्वार से किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मामले की जांच करवाने के लिए कहा जिसके बाद ममता बोरा ने सारे अभिलेखों का परीक्षण करा । जांचकर्ता ने पाया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत बनने वाले शौचालयों में भारी अनियमितताए हुई हैं । गाँव के कब्रिस्तान की दीवार की मरम्मत में भी निम्न स्तर की निर्माण सामग्री लगाई गई है। इसके साथ ही ग्राम प्रधान द्वारा चोरी से गांव की बिजली की लाइन से बिना अनुमति के कनेक्सशन लिया गया। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 16 दिसम्बर की तिथि नियत की है। न्यायालय ने पंचायती राज सचिव को एक सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है