गुणानंद जखमोला
– मंडुआ उत्पादकों के साथ कृषि विपणन बोर्ड का खेल
– किसानों का मंडुआ नहीं खरीद रहा कृषि विपणन बोर्ड
– किसानों से बड़े खिलाड़ियों को लीज पर जमीन देने का षड़यंत्र
सुन रहे हो न त्रिवेंद्र चचा और कृषि मंत्री सुबोध उनियाल। इसी मंडुआ और झंगोरे के दम पर हमने उत्तराखंड राज्य बनाया और उस पर आप राज कर रहे हो। अथक मेहनत, वन्य जीवों से संघर्ष के बाद पर्वतीय किसान किसी तरह से दो पैसे के लालच में इन फसलों का उत्पादन कर रहा है और आपकी भ्रष्ट व्यवस्था इन किसानों की मेहनत को चट कर जाना चाहती है। हद है। रुद्रपुर में आपके द्वारा बिठाया गया एक व्यक्ति पर्वतीय क्षेत्रों के किसानों की उपज खरीदने से इनकार कर रहा है। अजीब बात यह है कि मंडुआ-झंगोरा की खरीद के लिए जो नोडल अधिकारी बनाया गया है उसे इसकी समझ ही नहीं है। सरकार ने मंडुए का समर्थन मूल्य 25 रुपये किलो तय किया है लेकिन गैरसैंण, मालसी, घनसाली और अल्मोड़ा से सैकडों कुंतल मंडुआ बिना खरीदे ही पड़ा है। उत्तराखंड कृषि विपणन बोर्ड ने बिना पूरी खरीद किये ही मंडुआ खरीदना बंद कर दिया। इसकी शिकायत लेकर जब किसान कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के पास पहुंचे तो उन्होंने स्पीकर पर फोन रख नोडल अधिकारी विजय सिंह इंजीनियर (जिसका खेती से कोई लेना-देना नहीं) को कहा कि खरीद क्यों बंद कर दी तो उसने कहा, 50 लाख की खरीद करनी थी, एक करोड़ की खरीद हो गयी। जब सुबोध ने कहा कि दस करोड़ का रिवाल्विंग फंड इस्तेमाल करो, तो महाशय कहने लगे कि हमारे विभाग के कुछ लोग दलाली कर रहे हैं और उनके साथ कुछ और दलाल जुड़ गये हैं। जब आप मुझे मिलोगे तो बताऊंगा। फोन स्पीकर पर था तो जो लोग वहां अपनी फसल की चिन्ता में आए थे, वो अपमानित हो गये कि मंत्री के सामने हम दलाल बन गये। ये है कृषि विभाग का हाल। साफ है कि कुछ आढती और विभाग के अधिकारी मिलकर आढतियों को लाभ पहुंचाने के लिए यह खेल खेल रहे हैं। लेकिन सवाल लाख टके का है कि सरकार क्या कर रही है। मंत्री जी क्या कर रहे हैं ? क्या जैविक फसलों के नाम पर पहाड़ की जमीन को लीज पर देने का खेल शुरू हो गया। किसानों को परेशान करो और उनकी जमीन ले लो ताकि किसान अपनी ही जमीन पर श्रमिक बनकर रह जाएं? वाह री सरकार, कहां तो चकबंदी की बात थी, अब जमीन लीज पर देने की बात होने लगी।