शासन स्थित सूत्रों की मानें तो कैबिनेट में आने से पहले ही सरकार के एक ताकतवर सलाहकार को इस नीति का मसौदा विभाग में बैठे सलाहकार के करीबी और नये नये अहम ओहदे पर आये अफसर दे आए हैं।
राज्य में वित्तीय वर्ष 2020-2021 के लिये 3600 करोड़ रूपये का राजस्व रखा गया है। आपको बताते चलें कि कुछ दिनों पूर्व प्रमुख सचिव आबकारी ने अफसरों को नीति पर चर्चा के लिये बुलाया था तो खाली हाथ बिना जानकारी अथवा तैयारी के पंहुचे मुख्यालय के काबिल अफसरों को प्रमुख सचिव ने चलता कर दिया गया था।
डेनिस रिटर्नस की चर्चा
बात ज्यादा पुरानी नही है। कांग्रेस सरकार में जिस प्रकार से पहले आबकारी नीति फिर एफएल टू नीति फिर डेनिस नामक शराब की बाजार में इंट्री हुई और अन्य सभी ब्रांड मार्केट से हटवाये गये। ये सिंडिकेट फिर से बुरी तरह सक्रिय हो उठा है। कांग्रेस सरकार में कांग्रेस सरकार के वरिष्ठ नेता व मंत्री पी चिदंबरम हाईकोर्ट नैनीताल कंपनियों की ओर से आये थे और हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाने के साथ साथ दिशा निर्देश भी जारी किये थे। डेनिस शराब की चर्चा इस कदर हुई कि इस चर्चा और करतूत ने कांग्रेस को कहीं को नही छोड़ा। हरीश रावत दो दो सीटों से चुनाव हार गये।
आबकारी मुख्यालय के अफसरों की इसे कृपा पात्रता कहें या फिर जानकारी की कमी कि कुछ माह पहले हाईफील्ड नामक ब्रांड के शराब की तस्करी का खेल पिथौरागढ में खुला। पिथौरागढ में पकड़ी गई शराब का ब्रांड दून में था। एक्शन सीधा लेने के बजाए इतनी कमी छोड़़ी गई और आफिस सील कराकर कुछ समय बाद योग्य अफसरों ने इंस्पेक्शन सर्टिफिकेट भी दे दिया गया कि सब कुछ सही है कोई कमी नही है।
इसके खिलाफ हाईकोर्ट से आबकारी मुख्यालय के अफसर पर देर से कार्रवाई करने पर एक हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। इसकी वजह कोर्ट में गलत शपथ पत्र भी लगाया गया था। मुख्यालय स्तर से लाइसेंस कैसिंल और ब्लैकलिस्ट भी किया लेकिन तमाम कमियों के चलते शासन ने कैंसलेशन बरकरार रखा लेकिन ब्लैक लिस्ट से हटा दिया गया था। इसके वजह महीनों तक मुख्यालय में जिम्मेदारों के द्वारा जांच को दबाया जाना था।
क्यों व्यक्तिगत रूप से लेकर गये होलोग्राम
राजधानी में शनिवार को पकड़ी गई लाखों रूपये की अवैध शराब के मामले में राजस्व चोरी का बड़ा खुलासा हुआ था। जिसमें आबकारी महकमे ने आपराधिक मुकदमा भी अलग से दर्ज कराया था। एकाएक चार दिनों बाद स्वयं के ताले को तोड़कर होलोग्राम लेकर जाना कई सवालों को जन्म देता है। ये होलोग्राम मुकदमा दर्ज होने के बाद अब केस प्रापर्टी है। इसे बकायदा फर्द में लाकर कोर्ट से अनुमति लेकर ही खोला जा सकता था। कोई अधिकारी व्यक्तिगत रूप से लेकर नही जा सकता। कहीं हाईफील्ड की तरह इस मामले में भी कोई बड़ा खेल कर दोषियों की मदद करने की साजिश तो नही चल रही है !