देहरादून मे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से एक महिला ने ट्वीट करके कहा कि “एक ओर तो देश में आफत है, घर से बाहर नहीं निकलना है और बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं किंतु देहरादून में सेंट जूज स्कूल वाले स्कूल फीस जमा करने के लिए मैसेज भेज रहे हैं। कृपया कुछ एक्शन लीजिए।”
इस पर मुख्यमंत्री ने उल्टा महिला को ही नसीहत देते हुए लिखा कि “मैसेज में साफ लिखा है कि आप ऑनलाइन भी दे सकते हैं मुख्यमंत्री ने आगे लिखा कि मेरा सभी से निवेदन है कि अगर आप स्मार्टफोन रखते हैं, फोन ऐप प्रयोग करते हैं तो साइबर सेफ्टी के जरूरी दिशा निर्देशों का पालन कर ऑनलाइन बैंकिंग का प्रयोग करें। व्यर्थ के इश्यू उठाने से बचें, सहयोग करें घर में रहे।”
गौरतलब है कि एक ओर दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल घर में रहने वालों को किराए माफी से लेकर तमाम तरीके की सुविधाएं दे रहे हैं, वहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा शिकायतकर्ता अभिभावक महिला का पक्ष न लेकर स्कूल की ओर से ही नसीहत पिलाना चर्चा का विषय बना हुआ है लोगों का कहना है कि जब स्कूल बंद है, बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, पूरे देश में लॉक डाउन है, ऐसे में क्या स्कूल फीस 1 महीने बाद नहीं दी जा सकती !
अहम सवाल यह है कि
क्या स्कूल रुक नहीं सकता था !
क्या सभी को स्मार्टफोन और पेटीएम जैसे ऑनलाइन भुगतान करना आता है !
क्या मुख्यमंत्री जी के पास इस महिला के सवाल का इससे बेहतर जवाब नहीं था !
क्या लॉक डाउन के दौरान सभी अभिभावकों के पास स्कूल की फीस देने के लिए पर्याप्त पैसा है !
त्रिवेंद्र सरकार के इस संवेदनहीन आचरण की सब जगह आलोचना हो रही है और लोग इसे मुख्यमंत्री पद की गरिमा के विपरीत आचरण बता रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसोनी ने इस पर कहा है कि सब जगह से बेजार होकर महिला ने समाधान के लिए सीएम से संपर्क किया था। “सीएम द्वारा स्कूल को नसीहत देने के बजाय महिला को नसीहत देना गलत है।”