हर मामले में पिछड़ी और अपने लोगों को राज्य तक न पंहुचा पाने में फेल डबल इंजिन सरकार को एकाएक दो प्री फैब्रिकेडट अस्पताल की याद आ गई है। जबकि पहले से उच्च सुविधाओं से लैस महंत इंद्रेश अस्पताल 1500 बेड और व जौलीग्रांट जैसे अस्पताल सरकार को पांच सौ बेड देने को तैयार हो चुके हैं।
सरकार जब तक अपने इस प्री फैब्रिकेडट अस्पताल की औपचारिकता पूरी करेगी तब तक तो वायरस का संक्रमण भी समाप्ति की ओर होगा। क्योंकि डबल इंजिन सरकार में कामकाज कितना तेज गति से हो रहा है किसी से छिपा नही है।
कोरोना वायरस से देश और दुनिया हल्कान है। संकट की इस घड़़ी में क्या आम, क्या खास, सभी अपने अपने स्तर से पीड़ितों, जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। आर्थिक मदद से लेकर खानपान व होमडिलवरी भी की जा रही है।
लेकिन ये किसी भी ताज्जुब से किसी से कम नही है कि जिस राज्य के पास आर्थिक संकट सुरसा के मुंह से बड़ा हो रहा है। नर्सिंग स्टाफ से लेकर डाक्टर नही है, वो भला क्या इन अस्पतालों का संचालन कर भी सकेगा !
जाहिर है कि यदि सरकार की मंशा साफ है तो उसे कम से कम तीन फर्मो से कोटेशन मांग कर प्रीफैब्रीकेटेड अस्पताल बनाने की कार्यवाही करनी चाहिए। इसमें अधिक समय भी नहीं लगेगा
आनंद कौन है
ब्यूरोक्रेसी में कल दोपहर से एक बड़ी चर्चा चल रही है। मीडिया को कल शाम पता चला कि राज्य में दो पांच पांच सौ बेड प्री फैब्रिकेडट अस्पताल बनेंगें। एक रूद्रपुर व दूसरा दून जिले में बनेगा। लेकिन कल दोपहर ही वायरस से निबटने में सबसे अहम विभाग के एक अफसर ने एक ठेकेदार आनंद को बुलाया और कोटेशन देने से लेकर हर मदद करने का आश्वासन भी दे दिया। तो क्या कोरोना की आड़ में धंधा शुरू हो गया है ! क्या पीएम मोदी की मेहनत को राज्य के भ्रष्ट नौकरशाह चपेट में लेने की तैयारी में हैं। इन अफसर की हरिद्वार में होटल व कई बेनामी संपत्तियां भी बताई जाती हैं।