उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का आज 10: 40 पर निधन हो गया है वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और एम्स में भर्ती थे उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था लेकिन उनकी हालत बिगड़ती चली गई थी। उनके पार्थिव शरीर को आज पर उनके पैतृक गांव पंचूर यम्केश्वर लाया जाना है तथा यही उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिता के निधन पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि वह कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ी जा रही जंग के चलते हुए उत्तर प्रदेश की जनता को छोड़कर उनके दाह संस्कार के कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पा रहे हैं।
यही नहीं जब उनका निधन हुआ तब भी वह कोरोना के संबंधित बैठक ले रहे थे और पिता के अंतिम दर्शनों के लिए भी नहीं जा पाए।
योगी आदित्यनाथ ने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे लोगों से भी अपील की है कि वह लॉक डाउन को ध्यान में रखते हुए कम से कम संख्या में अंतिम संस्कार कार्यक्रम में शामिल होने जाए।
तबीयत खराब होने पर योगी के पिता को 13 मार्च को दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्हें लिवर और किडनी की समस्या थी। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक वह एम्स के एबी 8 वार्ड में भर्ती हैं। गेस्ट्रो विभाग के डॉक्टर विनीत आहूजा की टीम उनका इलाज कर रही थी। उन्हें वेंटीलेटर पर रख गया था। रविवार को उनका डायलिसिस भी कराया गया।
उनका 89 वर्ष की आयु में निधन हुआ। वह वन विभाग से रेंजर रिटायर हुए थे सन 2000 में।
उत्तरकाशी से था योगी के पिता का गहरा नाता
(प्रसंग वश साभार ओंकार बहुगुणा)
उत्तरकाशी जिले के बड़कोट तहसील के मसाल गांव से भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का गहरा नाता रहा है। सीएम के पिता आनन्द सिंह बिष्ट इसी गांव में 3 वर्षों तक वन विभाग में कार्यरत रहे थे। सीएम के पिता के साथ बिताए पलों को आज भी लोग नहीं भूल पाते हैं। योगी आदित्यनाथ (अजय सिंह बिष्ट) का जन्म स्थानीय लोगों के मुताबिक 5 जून 1972 को बड़कोट पट्टी के मसाल गांव में हुआ था।
योगी आदित्यनाथ के पिता आनन्द ¨सिंह बिष्ट यमुना वन प्रभाग मसूरी रेंज की बीट मसाल गांव में वन विभाग में वन दरोगा के पद पर कार्यरत थे। स्थानीय निवासी उनके मित्र जयेंद्र ¨सिंह राणा बताते हैं कि आनन्द ¨सिंह बिष्ट ने बेटे के नामकरण पर शुद्ध घी का हलवा सारे गांव को खिलाया था। गांव वाले बताते हैं कि योगी जी का परिवार बिल्कुल सात्विक प्रवृति का था। यहीं गांव में 60 के दशक में बने वन विभाग के वन चौकी में ही इनका परिवार रहता था। अपनी यादों का ताजा करते हुए जयेंद्र सिंह कहते हैं कि आनन्द सिंह बिष्ट हमेशा जब भी समय मिलता था। उन्हीं के पुस्तैनी मकान की तिबारी में बैठा करते थे। जबकि योगी आदित्यनाथ (अजय ¨सिंह) को स्वयं जयेद्र सिंह राणा अपनी गोद में बिठाकर धूप सिकवाया करते थे। बचपन के दिनों को याद करके राणा बताते हैं कि योगी बहुत रोया करते थे, लेकिन वे उन्हें गोद में खिलाकर चुप कराते थे। सन 1973 में आनन्द सिंह बिष्ट का स्थानांतरण पुरोला हो गया था। इस दौरान बिष्ट की तैनाती पुरोला हुई थी, तो एक दिन नौरी जगंल की रखवाली करते समय फिर से उनकी मुलाकात हुई थी। लेकिन उसके बाद से फिर बात नहीं हो पायी।