जगदम्बा कोठारी
सीएम त्रिवेंद्र रावत के हेलीकाॅप्टर ने एक बार फिर लाॅक डाउन के नियमों को तार तार करने के लिए के लिए उड़ान भरी। अबकि बार यह कार्यक्रम यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता की अंत्येष्टि का था जहां सीएम द्वारा ही लाॅक डाउन के नियमों का सरेआम खूब मजाक बनाया गया। आज सुबह पौड़ी जिला प्रशासन की निगरानी मे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता स्व. आंनद सिंह बिष्ट जी की अंत्येष्टि ऋषिकेश के लक्ष्मणझूला स्थित फूलचट्टी घाट पर की गयी।
जिसमे प्रशासन को छोड़ पार्थिव शरीर के साथ सीएम योगी के परिवार के करीबी लगभग बीस लोग पहले से ही शामिल थे लेकिन सीएम त्रिवेंद्र रावत भी पीछे से शव यात्रा मे कांधा देने के लिए पहुंच गये। इनके बाद नम्बर बढाने की होड़ मे विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक फिर बाबा रामदेव, स्वामी चिदानंद और भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष कुसुम कंडवाल तक योगी के पिता की अंत्येष्टि कार्यक्रम मे शामिल होने पहुंची।
इस कार्यक्रम मे पुलिस प्रशासन को हटाकर भी लगभग तीन दर्जन से अधिक लोग शामिल थे। जबकि कल यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनी मां के नाम एक भावुक पत्र लिखकर अंत्येष्ट मे शामिल न होने पर माफी मांगी थी। चिट्ठी मे उन्होने लिखा था कि
“अंतिम क्षणों में पिताजी के दर्शन की हार्दिक इच्छा थी परंतु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने के कर्तव्यबोध के कारण मैं दर्शन न कर सका।”
“कल 21अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉक डाउन की सफलता तथा महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं।”
पूजनीया मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील है कि लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें।”
अब अहम सवाल यह उठता है कि एक ओर तो मर्यादा से बंधे योगी आदित्यनाथ स्वयं सीएम होने के बावजूद अपने पिता को मुखाग्नि देने नहीं पहुंचे। विपरीत परिस्थितियों मे सीएम योगी का यह त्याग और समर्पण इतिहास मे दर्ज भी हो चुका है। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड सीएम उनसे सीख लेना तो दूर उल्टा प्रदेश की जनता को खतरे मे डाल कर लाव लश्कर के साथ ऐसे कार्यक्रमों मे जान बूझकर शामिल होने के साथ ही वहां मीडिया से भी मुखातिब हो रहे हैं और गोदी मीडिया के संवाददाता भी सीएम के इस कार्यक्रम की वाह वाही करने मे जुटे हैं। अंत्येष्टि मे शामिल किसी भी पत्रकार ने सीएम से सोशल डिस्टेसिंग के उल्लंघन को लेकर सवाल नहीं किया। बात यह नहीं कि किसी की अंत्येष्टि मे जाना गलत है लेकिन प्रदेश मे चल रही विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए मुख्यमंत्री के ही द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों मे निरंतर शामिल होना कोरोना की इस महामारी मे जनता को नकारात्मक संदेश दे रहा है।
प्रदेश मे अब तक कोरोना के 46 मामले हो चुके हैं और यह गिनती रोकने का बस सोशल डिस्टेंसिंग ही एकमात्र तरीका है। ऐसे मे मुख्यमंत्री की देखादेखी विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल,मदन कौशिक,बाबा रामदेव, स्वामी चिदांनंद सहित दर्जनों लोग इस कार्यक्रम मे शामिल होते हैं। हैरत कि बात है कि यहां तक भाजपा महिला मोर्चा उपाध्यक्ष कुसुम कंडवाल का भी वहां पहुंचना बहुत जरूरी था। जबकि योगी आदित्य नाथ ने पत्र लिखकर साफ अपील की थी लाॅक डाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग ही वहां पहुंचे।प्रदेश के मुखिया त्रिवेंद्र रावत ने अभी तक अस्पतालों का औचक निरिक्षण कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा तक नहीं लिया जो कि प्रदेश के लिए जरूरी था।
सरकार ने ही शासनादेश जारी कर विवाह समारोह मे पांच से अधिक और अंत्येष्टि मे बीस से अधिक लोगों के पहुंचने पर कड़ी रोक लगायी है। जिसे मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों द्वारा लगातार तोड़ना आम बात हो गयी है और न ही उन पर अभी तक कोई कार्यवाही हुयी है जिसका कि भाजपाई जमकर फायदा उठा रहे हैं।सरकार के इन नियमों की मार सीधे केवल आम आदमी पर ही पड़ रही है। सीएम त्रिवेंद्र रावत के पास एक मौका था कि वह इस अंत्येष्टि कार्यक्रम मे शामिल न होकर जनता के लिए सोशल डिस्टेसिंग की एक बेहतरीन नजीर पेश करते लेकिन सत्ता का नशा उन्हे यह सीख नहीं दे पा रहा है।