सावधान ! प्रवासियों को लाने के लिए 10 मई को कोई भी स्पेशल ट्रेनें नहीं चल रही हैं।
उत्तर रेलवे ने इन खबरों का खंडन किया है और कहा है कि “श्रमिक स्पेशल के संबंध में प्रकाशित समाचार सत्य नहीं है। यह एक भ्रामक खबर है इसलिए इसका खंडन कर दिया गया है।” उक्त श्रमिक रेलगाड़ियों को चलाने की कोई योजना नहीं है। रेलगाड़ियां चलाने का निर्णय भविष्य में गृह राज्य उत्तराखंड व भेजने वाले राज्यों के अनुरोध पर होगा।”
नॉर्दन रेलवे ने शाम को किया खंडन
इसका मतलब यह है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तर रेलवे को अथवा रेल मंत्रालय को ट्रेनें लगवाने के लिए कभी अनुरोध किया ही नहीं। इसके बावजूद यह खबर प्रकाशित कर दी गई और इस खबर में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी बयान छपा हुआ है।
उमेश कुमार ने दिन में पूछा था रेल मंत्री से
यदि नॉर्दन रेलवे सही कह रहा है तो इसका मतलब सीधा सीधा सा यही है कि सीएम और अखबार ने ही झूठ कहा। यानी यह अफवाह उत्तराखंड के यशस्वी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, अमर उजाला अखबार और चाटुकार पत्रकारों ने मिलकर के फैलाई कि प्रवासियों को लाने के लिए स्पेशल ट्रेनें चल रही है।
अमर उजाला ने आज के अंक में एक एंकर स्टोरी पब्लिश की।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के बार-बार झूठ बोलने और पलटी खाने की छवि होने के कारण पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट उमेश कुमार ने पर्वतजन को बताया कि उन को मुख्यमंत्री की इस बात पर भरोसा नहीं हुआ और उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल को आज दिन में 1:30 बजे ट्विट करके पूछ लिया कि “इस तरह की सूचनाएं आ रही है क्या यह सत्य है!”
पत्रकार उमेश कुमार ने पूछा कि “क्योंकि हजारों की तादाद में फंसे प्रवासी उत्तराखंडी आज और कल में अलग-अलग प्रांतों में सड़कों पर निकलने वाले हैं।”
उमेश कुमार ने अनुरोध किया कि “कृपया समय रहते संज्ञान ले अन्यथा महाराष्ट्र की पुनरावृति हो सकती है।”
इस पर रेल मंत्रालय चौंका और उन्होंने अभी शाम को लगभग 6:23 पर ट्वीट किया कि “
“यह खबर गलत है।” आप भी सोशल एक्टिविस्ट उमेश कुमार और नॉर्दन रेलवे का ट्वीट पढ सकते हैं।
गौरतलब है कि यदि उमेश कुमार स्वीट करके रेल मंत्रालय से नहीं पूछते तो फिर कल के दिन का मंजर क्या होता इसको सोच कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
अमर उजाला मे छपा कल 10 मई का ट्रेन शेड्यूल
गौरतलब है कि कई प्रवासी सड़कों पर निकल पड़ते कि बाद में क्या पता त्रिवेंद्र सिंह रावत अपना फैसला वापस न ले लें, अथवा क्या पता उनका कहीं नंबर ना आए ! इसलिए सभी लोग ट्रेन में चढ़ने के लिए दौड़ पड़ते और फिर सड़कों पर जो हुजूम उमड़ता और उससे जो दुर्घटना अथवा कोरोना महामारी की आशंका होती, उसकी तो कल्पना करना भी असंभव है।
अमर उजाला में छपा सीएम का बयान
गौरतलब है कि उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा पटरी से उतार दी गई राज्य की व्यवस्था पर दुखी होकर फेसबुक पर अपना दुख प्रकट करने वाले आम उत्तराखंड के लोगों को तो मुख्यमंत्री की चमचागिरी के लिए और प्रमोशन तथा अन्य नंबर बढ़ाने के लिए चटपट पुलिस गिरफ्तार कर लेती है लेकिन क्या पुलिस के लॉ एंड ऑर्डर मुखिया अशोक कुमार सहित उनकी पुलिस मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, अमर उजाला अखबार और उनके चाटुकार गोदी मीडिया के पत्रकारों पर भी कोई कार्यवाही होगी या नहीं !!
इस पर तो सवाल पूछना ही बेमानी है। क्योंकि यहां सरकार नहीं बल्कि ऐसा लगता है कि कोई गैंग चल रही है।
यहां राज्य भले ही एक हो लेकिन कानून दो तरीके के चलते हैं। आम आदमी के लिए कुछ और खास के लिए कुछ और। इसलिए आम उत्तराखंडी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की इन्हीं बातों को लेकर के वर्ष 2022 का दिल थामकर इंतजार कर रहा है।