क्या अब मुनस्यारी के टयूलिप गार्डन में फिल्मों की शूटिंग होगी !
–भूपत सिंह बिष्ट
सिलसिला फिल्म का लोकप्रिय गीत याद कीजिए – देखा एक ख्वाब तो ये सिलसिले हुए ….अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माये गए इस गीत की पृष्ठ भूमि में ट्यूलिप फूलों की बहार छायी है। लम्बी क्यारियों में लाल, गुलाबी, पीले और सफेद ट्यूलिप इस गीत को यादगार बनाते हैं।
विगत सप्ताह सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का ट्यूलिप को लेकर एक ट्वीट चर्चा में आया – इसमें मुनिस्यारी ईको पार्क को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट कहा गया है और ढांचा गत सुधार से जीविका उपार्जन की संभावना जतायी है।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के अन्य ट्वीट में ट्यूलिप की पहली फोटो जारी करते हुए यह दावा किया गया है कि पंचाचूली का ट्यूलिप गार्डन विश्व का सबसे बड़ा गार्डन होगा और इससे मुनस्यारी के टूरिस्ट ट्रैफिक में भारी वृद्धि होगी।
सीएम त्रिवेंद्र का ट्वीट
जम्मू – कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री को अपनी प्रतिक्रिया में ट्वीट किया है कि श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन कहीं अधिक मनमोहक है लेकिन आपका भी सुंदर है, बधाई !
उमर अब्दुल्ला का जबाबी ट्वीट
अभी तक भारत में जम्मू – कश्मीर, श्रीनगर का इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन को एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन माना जाता है। 30 हैक्टेयर में फैले इस ट्यूलिप गार्डन को देखने देश – विदेश से टूरिस्ट पहुंचते हैं और बड़े बजट वाली फिल्मों की यहां शूटिंग होती रहती हैं। इस के अलावा श्रीनगर के मुगल गार्डन के नाम से मशहूर शालीमार, निशात गार्डन और चश्में शाही में भी ट्यूलिप की पंक्तिबद्ध लाल, गुलाबी, पीले व सफेद ट्यूलिप श्रृंखलायें अपनी विशिष्ट छाप छोड़ती हैं।
ट्यूलिप बाग में श्रीनगर के बाद राक गार्डन, चंडीगढ़, लाल बाग, बंगलौर व लोधी गार्डन, दिल्ली का स्थान आता है।
मुनस्यारी मे सौ गज की क्यारी,
विश्व मे नंबर वन की दावेदारी !
गुलाब के बाद लिलि परिवार का ट्यूलिप शाही किस्म का फूल है।
आज भारत में हाॅलेंड से ट्यूलिप बल्ब का आयात किया जाता है। इस विदेशी फूल का मूल स्थान मध्य एशिया और तुर्की बताया जाता है। जहां से 16 वीं शताब्दी में हाॅलेंड ने इसका आयात किया और आज पूरे विश्व में हाॅलेंड ट्यूलिप के अग्रणी निर्यातकों में है। इस के अलावा आस्ट्रिया, इटली, जापान और सोवियत रूस में भी ट्यूलिप की खेती की जाती है। एशिया और चीन के कुछ इलाकों में ट्यूलिप जंगली प्रजातियों में भी उग रहा है।
ट्यूलिप का बल्ब, खाने में भी प्याज की तरह कई देशों में उपयोग किया जाता है। देहरादून में फोरेस्ट रिसर्च इंस्टीटयूट के अलावा भारत भर के पुष्प प्रेमी अपने बाग-बगीचों में वर्षों से ट्यूलिप को उगा रहे हैं।
ट्यूलिप पुष्प की उम्र लगभग 20 दिन की होती है और यह बसंत ऋतु का फूल है। ट्यूलिप की सौ से ज्यादा प्रजातियां हैं और इस लंबे दर्शनीय पुष्प में छह पंखुड़ियां होती है। हर सीजन के लिए इसका बल्ब संभाल कर रखना पड़ता है, जो कि बहुत श्रम साध्य काम है।
अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘‘लोकल के लिए वोकल‘‘ होने का नारा दिया है – ऐसे में हाॅलेंड से आयात किये जाने वाले ट्यूलिप का भविष्य स्पष्ट नहीं है। सीमांत पिथौरागढ़ की तहसील मुनस्यारी नगर तक पहाड़ी सड़क मार्ग से पहुंचना काफी दुष्कर है, सो अक्सर यहां आने वाले रफ – टफ टूरिस्ट मिलम ग्लेशियर की ट्रेकिंग के लिए पहुंचते हैं।
मुंबई मिरर र्पोटल ने फोटो कवरेज में ट्यूलिप फूलों के साथ पंचाचूली शिखर के नयनाभिराम दृश्य में वन विभाग को श्रेय दिया है। संभवत: यही टयूलिप खेती की पहली फोटो का राज है। सूत्र बताते हैं कि अभी ट्यूलिप ईको पार्क प्रारंभिक अवस्था में छोटी क्यारियों में मिक्स प्रजातियों के साथ उगाया जा रहा है। जबकि हर रंग के लिए ट्यूलिप की अलग क्यारियां बनायी जाती हैं। फिलहाल ट्यूलिप से ज्यादा प्रचार बैकड्राप में पंचाचूली हिमालय को मिल रहा है।