विवादित दरोगा पीडी भट्ट को पुलिस लाइन से खानपुर ट्रांसफर किए जाने का मामला मीडिया में उछलने के बाद अब सनसनीखेज बनता जा रहा है। आखिर किस प्रकार गुपचुप तरीके से और किसकी सोर्स लगा यह दागी अफसर देहरादून से हरिद्वार स्थानांतरित हो गया और कैसे इस अफसर को चुपचाप कुछ दिन हरिद्वार लाइन में रख सबसे रसूखदार थाना परोस दिया गया जबकि इस अफसर के विरुद्ध एक नही कई मामलों में जांच लंबित है फिर कैसे इस अफसर को खानपुर में पोस्टिंग दी गयी।
अब समझते है कि अंतर जनपदीय ट्रांसफर की प्रक्रिया क्या है ! यह अधिकार जिले के कप्तान के पास कदापि नही, कम से कम DIG ही यह कर सकता है। फिर किन कारणों के चलते DIG GARHWAL द्वारा जांच लंबित होने के बाद भी इस दागी अफसर को हरिद्वार जिला सौगात में दिया गया। निसंदेह यह पुलिस पर गंभीर प्रश्न खड़ा करता है।
मीडिया ने जब डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार से इस विषय में पूछा कि पीडी भट्ट का ट्रांसफर पुलिस लाइन देहरादून से हरिद्वार पुलिस लाइन किया गया और किन ‘परिस्थितियों’ में उन्हें खानपुर का महत्वपूर्ण थाना सौंप दिया गया है तो उसपर साहिब मौन हो गए, क्या उनके खिलाफ चल रहे मुकदमे समाप्त हो गए हैं अशोक साहिब !
इस पर डीजी लॉ एंड ऑर्डर ने कहा कि उन्हें “इस प्रकरण का संज्ञान तक नहीं है। यह हरिद्वार के पुलिस कप्तान के ही संज्ञान में होगा।” पर यह सम्भव कैसे है जब देहरादून जिले का एक दागी दरोगा हरिद्वार पहुंच जाए और पुलिस के आला अधिकारी पल्ला झाड़ ले। यह असंभव है कि बड़े अधिकारियों के ‘हाँ’ ना बोलने पर भी इस दागी का ट्रांसफर हो और अब मलाईदार थाना भी परोस दिया जाए।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पुलिस मुख्यालय पहले भी कह चुका है और निर्देश भी जारी कर चुका है कि विवादित छवि के पुलिसकर्मियों को महत्वपूर्ण थाने-चौकियों का प्रभारी न बनाया जाए। इसके बावजूद पीडी भट्ट को खनन के लिए सबसे चर्चित हरिद्वार जिले का खानपुर थाना सौंपा गया है। निसंदेह इससे प्रतीत होता है कि कुख्यात पुलिस अफसर ही कुख्यात थाने का मालिक होगा।
बाकी नवंबर महीने में जब पीडी भट्ट सहसपुर देहरादून के थाने में तैनात थे तो इसी दौरान इस थाने में अवैध हिरासत में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जिसकी जांच अब किसी ठंडे बस्ते में पड़ी गल रही है। आखिर सर पर साहिब का हाथ जो है! अब यह साहब कौन है यह हम ढूंढ़ ही लेंगे!
एसपी सिटी श्वेता चौबे की जांच पर इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था तथा न्यायिक जांच भी बिठाई गई है। अभी तक यह साफ नहीं है कि इन दोनों जांच का क्या हुआ ! शायद भट्ट के ट्रांसफर के साथ ही जांच भी मर गयी होगी।
इस दौरान पीडी भट्ट देहरादून लाइन हाजिर कर दिए गए थे तथा कुछ समय बाद उन्हें बहाल करके पुलिस लाइन हरिद्वार ट्रांसफर कर दिया गया था। अब कुछ दिन पहले ही उन्हें खानपुर जैसा खनन के लिए बदनाम मलाईदार थाना सौंपा गया है जो इस अफसर की बड़ी पहुंच को दर्शाता है।
इस पर पहले दिन से ही सवाल खड़े हो रहे हैं। गौरतलब बात यह भी है कि इस ट्रांसफर सूची को पुलिस के सर्वोच्च मुखिया अनिल कुमार रतूड़ी को भी प्रतिलिपि नहीं की गई है।
इसकी प्रतिलिपि सिर्फ डीजी लॉ एंड ऑर्डर को ही सूचनार्थ की गई है।
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या महज औपचारिकता के लिए ही सही लेकिन क्या ऐसे अधिकारियों के ट्रांसफर की सूचना की प्रतिलिपि पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी को की जानी जरूरी है भी या नहीं।