उत्तराखंड के विभिन्न विभागों मे कार्यरत कर्मचारियों की भर्ती हेतु उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग(uksssc) का उद्घाटन 17 September 2014 को किया गया था। राज्य समूह “ग” के अन्तर्गत आये पदों पर आयोग परीक्षा करवाकर उत्तीर्ण छात्रों को चयन करके उक्त विभागों मे कर्मचारियों को भर्ती करता है,किन्तु कुछ समय से बढती बेरोजगार मे आयोग द्वारा पदों पर परीक्षा करवाकर उनके रिजल्ट मे अत्यधिक देरी की जा रही है। जिस हेतु राज्य मे तैयारी कर रहे छात्रों का मनोबल दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है।
एक दिसम्बर 2019 मे हुए हाई कोर्ट परीक्षा के रिजल्ट की तिथि को 6 महीने बीत चुके हैं किन्तु आयोग द्वारा छात्रों को कोई जानकारी नही दी जा रही है, यह परीक्षा 2 चरणों मे होनी है।
रिजल्ट मे देरी से गिरता मनोबल
प्रथम चरण मे लिखित परीक्षा के पश्चात द्वितीय चरण इसमे टंकण/आशुलिपि की की परीक्षा के पश्चात दस्तावेज जांच करके विभागों मे चयन प्रक्रिया होनी है। किन्तु आयोग द्वारा इस प्रक्रिया मे हुई देरी से सभी छात्रों परेशान हैं। छात्रों को रिजल्ट के इंतजार मे 2-3 साल लग जाते हैं। इस कारण परीक्षा की तैयारी करने मे राज्य के युवाओं का मनोबल दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है।
वर्तमान मे हुई कोविड19 महामारी मे संपूर्ण विश्व समस्या मे है, लाॅक डाउन मे भी छात्र आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, वे अपने भविष्य की चिंता मे संशय मे है। रिजल्ट समय पर न आने पर परीक्षा की बाकी प्रक्रियाएं रूक जाती हैं, जिससे उत्तराखंड का युवा बीच तैयारी मे घनघोर आर्थिक रूप से कमजोर हो जाता है,और वह मजबूरी मे तैयारी छोड़ देता है। राज्य प्रशासन सरकार तथा चयन आयोग को इस पर ध्यान देने की जरुरत है।
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के सचिव संतोष बडोनी कहते हैं कि उनके पास 2000 पदों का अधियाचन आया हुआ है और उनकी तैयारी जून से कुछ भर्तियों के लिए विज्ञापन निकालने की है। साथ ही जिन पदों पर परीक्षाएं हो चुकी है, उनका मूल्यांकन 20 जून में शुरू करा दिया जाएगा। संतोष बडोनी कहते हैं कि रोस्टर का इस प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
जाहिर है कि सचिव बडोनी का यह वक्तव्य काफी हद तक बेरोजगारों को सांत्वना देने वाला है, लेकिन कोरोनावायरस के चलते स्थितियां कब तक इतनी सामान्य हो पाएंगी, इस पर अभी भी संशय बना हुआ है।