रुड़की। मैं चाहे ये करूं मैं चाहे वो करुं मेरी मर्जी….ये लाइन सत्ताधारी विधायक झबरेडा विधायक देशराज कर्णवाल पर फिट होती है…। जी हां! जो काम सत्ता से बाहर रहकर नहीं करा पाए, वो काम सत्ता में रहकर रातोंरात कर डाला। न किसी की परमिशन की ज़रूरत न किसी का दबाव, विधायक ने अपने रास्ते के लिए कब्ज़ा डाली रेलवे की ज़मीन, लेकिन रेलवे भी मौन है।
ऐसा आरोप झबरेड़ा से भाजपा विधायक देशराज कर्णवाल पर आम नागरिक मंच के अध्यक्ष दीपक लाखवान ने लगाया है और सत्ता का दुरूपयोग करने की बात कही है।
आपको बता दें सत्ताधारी विधायक देशराज कर्णवाल झबरेड़ा विधानसभा से विधायक हैं, जिनका आवास रुड़की रेलवे स्टेशन के नजदीक है। विधायक पर आरोप हैं कि वो पिछले कई सालों से अपने आवास के बाहर वाले रास्ते को रेलवे स्टेशन मार्ग से जोड़ना चाहते थे, जिसमें वह कामयाब नहीं हो पाए थे, लेकिन अब सत्ताधारी विधायक देशराज कर्णवाल के द्वारा रेलवे की जमीन के ऊपर अपने और अपनी गाड़ियों के आने जाने का बेहतरीन मार्ग बना डाला साथ ही साथ उस मार्ग पर निजी गेट भी लगा दिया और आरसीसी की रोड भी डाल दी। जिसका विरोध रुड़की शहर के कुछ सामाजिक लोगों के द्वारा किया गया है।विधायक पर आरोप लगाया गया है कि विधायक अपनी सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं और सरकारी जमीन हड़पने का काम कर रहे हैं। विधायक का रास्ता पीछे कॉलोनी में से है लेकिन इसके बावजूद विधायक के द्वारा एक और नया रास्ता रेलवे की जमीन को कब्जा कर बना दिया गया है।
वहीं इस पूरे मामले को लेकर विधायक देशराज कर्णवाल का कहना है कि पीडब्लूडी की सड़क पर कॉलोनियों के लगभग सात रास्ते हैं, जिसमें से छह रास्ते खुल हुए हैं और उनका रास्ता खयड उनके द्वारा ही काफी समय पहले बंद किया गया था। लेकिन कोरोना के चलते अब उन्होंने अपना यह रास्ता खुद ही खोल लिया है। उनका कहना है कि अगर रास्ता रेलवे का है तो है रेलवे के अधिकारी बताएंगे।
वहीं आपको बता दें कि दो दिन पहले भी काम चलाया गया था, पर रेलवे पुलिस द्वारा काम को रुकवा दिया गया था। रेलवे के अधिकारियों से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने इस बारे में जानकारी न होने की बात कही और उच्चाधिकारियों से बात कर जांच करवाने की बात कही है।
आपको बता दें कि यह पहला मामला नहीं है जब देशराज कर्णवाल सुर्खियों में हो। इससे पहले भी कई ऐसे मामले हैं जिनमें विधायक देशराज चर्चा में रह चुके हैं। लेकिन अब एक सत्ताधारी विधायक के द्वारा सरकारी जमीन पर अपने रास्ते के लिए कब्जा करना कहां तक उचित है, ये देखने वाली बात होगी। अब विरोध शुरू हो गया है तो जाहिर सी बात है सत्ताधारी विधायक के खिलाफ विपक्ष भी सड़कों पर उतरने को मजबूर हो जाएगा।