गंगोत्री धाम के निकट पहुंचा कोरोना। भारी पड़ सकता है यात्रा खोलने का फैसला
गंगोत्री घाटी की भैरों घाटी के पास एक तीर्थयात्री कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। भैरों घाटी में जब बंगाल से आए युवा श्रद्धालु का कोरोनावायरस ट्रू नाॅट टेस्ट कराया गया तो उनका सैंपल पॉजिटिव आया। श्रद्धालु को आइसोलेट करके उपचार दिया जा रहा है। कन्फ़र्म करने के लिए एक सैंपल एम्स भेजा गया है।
उत्तरकाशी स्वास्थ्य विभाग का कहना
उत्तरकाशी स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि, उन्हें इस बारे में पता नहीं है कि, युवक ने आने से पहले पंजीकरण कराया था या नहीं। अथवा उन्होंने अपना कोरोनावायरस नेगेटिव प्रमाण पत्र पहले से ही अपने पास रखा है या नहीं। युवक की टेस्टिंग देखने वाले वार रूम कर्मचारी ने बताया कि, यह कोई जरूरी नहीं की जिस व्यक्ति का सैंपल एक बार नेगेटिव आ गया हो वह दोबारा पॉजिटिव नहीं आ सकता। वह दोबारा भी संक्रमित हो सकता है। यह श्रद्धालु भैरों घाटी के लिए प्रस्थान कर रहा था, लेकिन इससे पहले ही ट्रू नाॅट टेस्ट में पॉजिटिव आने के कारण युवक को भर्ती कर दिया गया।
यात्रा के लिए नियम और उठ रहे सवाल
उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा देश के सभी राज्यों के लिए खोल दी है, तथा उसमें एक नियम यह भी बनाया है कि, श्रद्धालुओं को 72 घंटे पहले का अपना कोरोनावायरस नेगेटिव प्रमाण पत्र देवस्थानम बोर्ड की वेबसाइट पर पंजीकृत करते समय लगाना होगा। अहम सवाल यह है कि, क्या श्रद्धालु युवक ने कोरोना नेगेटिव प्रमाण पत्र वेबसाइट पर लगाया था ! यदि लगा था तो युवक दोबारा कोरोना पॉजिटिव कैसे हो गया ! और यदि यह प्रमाण पत्र नहीं लगा था या पंजीकरण नहीं था तो फिर युवक भैरों घाटी तक कैसे पहुंच गया ! इसके लिए कौन जिम्मेदार है !
और चार धाम यात्रा खोलने वाली सरकारी मशीनरी किस पर जिम्मेदारी किस तरह से फिक्स करेगी !
पुरोहितों ने वापस लिया बंद का फैसला
गौरतलब है कि, चार धाम यात्रा का विरोध कर रहे तीर्थ पुरोहितों ने मीटिंग करके गंगोत्री धाम को 15 अगस्त तक बंद करने का फैसला किया था और उसका नोटिस भी चस्पा किया था। इस पर देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों ने तथा गढ़वाल कमिश्नर ने यह चेतावनी दी थी कि, यदि मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया तो फिर उनके खिलाफ एफ आई आर दर्ज की जाएगी। और चार धाम देवस्थानम बोर्ड एक्ट के अनुसार कार्यवाही की जाएगी। डीएम से वार्ता के बंद का फैसला तो वापस ले लिया गया, लेकिन तीर्थ पुरोहितों का धरना जारी है।
बड़ा सवाल यह है कि, भैरों घाटी तक यह युवक कैसे पहुंच गया ! यदि युवक के पास असली कोरोना नेगेटिव सर्टिफिकेट था तो फिर युवक दोबारा पॉजिटिव कैसे हो गया ! इसका मतलब ऐसे अन्य केस भी आ सकते हैं। यदि पंजीकरण के समय युवक का सर्टिफिकेट फर्जी था तो फिर इसकी जांच करने का पुख्ता तरीका क्या हो सकता है ताकि दोबारा ऐसा ना हो! तीसरा सवाल यह है कि, यदि इस युवक ने पंजीकरण ही नहीं कराया था तो फिर यह युवक भैरों घाटी तक कैसे पहुंच गया ! क्या इसके लिए चार धाम यात्रा की जिद करने वाले किसी जिम्मेदार व्यक्ति पर कोई जिम्मेदारी फिक्स की जाएगी ! अथवा नहीं ! यदि यह तीनों सवाल अनुत्तरित रहते हैं और यात्रा इसी तरह चलती रहती है तो फिर हमें अधिक सतर्क रहना चाहिए या भविष्य में बड़ी अनहोनी के लिए भी तैयार रहना चाहिए।