उत्तराखंड में दो दिन से दो बड़ी खबरें सोशल मीडिया में वायरल हैं लेकिन प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इन खबरों को लेकर पूरी तरह सन्नाटा है।
एक तरफ फॉरेस्ट दरोगा मे भर्ती न होने से आहत होकर चमोली नंदप्रयाग मंगरौली गांव के संदीप ने आत्महत्या कर ली है, वहीं देहरादून में मुख्यमंत्री के सबसे करीबी देहरादून के मेयर सुनील उनियाल गामा की बिटिया श्रेया उनियाल सहित चार को पीआरडी के माध्यम से भारतीय चिकित्सा परिषद में अकाउंटेंट और अन्य पदों पर भर्ती किया गया है।
इस भर्ती के लिए ना तो वैकेंसी निकाली गई और ना ही अखबारों में विज्ञापन छपा।
एक ओर त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड में माइनस 1% बेरोजगारी बताते हैं, तो दूसरी ओर रोजगार भर्ती वर्ष हर साल मनाया जा रहा है।
लेकिन अखबारों में निकल रही इन भर्तियों का असली सच यही है कि आए दिन सरकार में शामिल कद्दावर लोग अपने रिश्तेदारों को इसी तरह से बैक डोर से भर्ती करा रहे हैं।
2 माह पहले पर्वतजन ने राज्यमंत्री रेखा आर्य द्वारा इसी तरह की बागडोर भर्तियां कराने के लिए उत्तराखंड शासन के सचिव को लिखे गए पत्र और भर्ती के लिए उनके स्टाफ द्वारा धन के लेन देन का खुलासा किया था।
भारतीय चिकित्सा परिषद में मेयर सुनील उनियाल गामा की बिटिया श्रेया उनियाल के अलावा दो को सुरक्षाकर्मी पद पर नौकरी दी गई है तथा एक अन्य को चतुर्थ श्रेणी कर्मी के पद पर नियुक्त किया गया है।
वहीं दूसरी ओर बेरोजगारी से परेशान होकर नंदप्रयाग मंगरौली गांव के संदीप ने अपनी पोस्ट में वन दरोगा मे भर्ती ना होने से आहत होकर प्रदेश सरकार की नीतियों को दोषी ठहराते हुए आत्महत्या कर ली।