जगदम्बा कोठारी
उत्तराखंड को गाली देकर अपमानित करने वाले हरिद्वार के खानपुर विधानसभा सीट से बिगड़ैल विधायक कुंवर प्रणव ‘चैंपियन’ को 13 माह बाद ही भाजपा में शामिल कर लेने के बाद से देहरादून सहित दिल्ली तक जन आक्रोश फूट पड़ा है।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड प्रभारी संजय सिंह ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जोरदार प्रदर्शन कर नारेबाजी कर चैंपियन का भाजपा में वापसी का कड़ा विरोध किया। उत्तराखंड में भी चैंपियन की भाजपा वापसी के बाद से ही भाजपा का एक बड़ा धड़ा प्रदेश नेतृत्व से नाराज चल रहा है। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने तो अपनी नाराजगी को सार्वजनिक तौर पर व्यक्त किया है।
पिछले साल सांसद अनिल बलूनी के हस्तक्षेप के बाद ही केंद्रीय नेतृत्व ने विवादित विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन को 6 साल के लिए भाजपा से निष्कासित किया था लेकिन 13 माह बाद ही प्रदेश भाजपा को चैंपियन की इतनी आवश्यकता पड़ी कि उनकी सारी गलती और गुनाहों को माफ कर उन्हें पुनः पार्टी में शामिल कर लिया गया। जिसके बाद से ही भाजपा सरकार उत्तराखंड वासियों के निशाने पर आ गई है। भाजपा के इस कदम की चौतरफा निंदा हो रही है।
उत्तराखंड को अपने स्थान विशेष में रखने का वीडियो वायरल होने के बाद जब उत्तराखंड में लोगों ने इस पर सवाल उठाए थे तो प्रणव सिंह चैंपियन ने डालनवाला थाने में सवाल उठाने वाले उत्तराखंड के लोगों के खिलाफ ही तहरीर दे दी थी।
अब उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और उत्तराखंड आंदोलनकारी महिपाल सिंह नेगी ने सवाल उठाया है कि आखिर चैंपियन को माफी किसने दी ! क्या जिनके खिलाफ चैंपियन ने तहरीर दी थी उन्होंने उसे माफ कर दिया है !
यह रही चैंपियन की तहरीर
भाजपा आकाओं से माफी नामा मिलने के बाद 24 घंटे के भीतर ही कुंवर प्रणव लाव लश्कर में राइफलमैन के साथ अपनी विधानसभा में इस तरह एंट्री लेते हैं जैसे कोई किला फतह कर आ रहे हों।अब आम आदमी पार्टी और यूकेडी चैंपियन की वापसी का कड़ा विरोध कर रही हैं।लोग सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर चैंपियन की वापसी पर भाजपा सरकार की जमकर आलोचना हो रही है।
यहां तक कि भाजपा विधायक खजान दास तक चैंपियन के दुर्व्यवहार का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने कहा है कि इस समय कोरोनावायरस का दौर चल रहा है और विधायक की इस प्रकार की गतिविधियां पार्टी को शर्मसार करती हैं।
उत्तराखंड आंदोलनकारी तथा भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने भी चैंपियन की वापसी को लेकर काफी एतराज जताया है और इसे उत्तराखंड की आम जनता का अपमान बताया है।
चैंपियन के विवादित कारनामे
उत्तराखंड को गाली देने से पहले भी खानपुर के इस बिगड़ैल विधायक के कारनामों की फेहरिस्त तो काफी लंबी है। ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी बड़े उग्रवाद के बाद चैंपियन पर पहली बार कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
इन पर कोई कार्यवाही होना तो दूर बल्कि भाजपा प्रदेश नेतृत्व के कई बड़े नेता चैंपियन की भाजपा में वापसी के बाद से खुश हैं। वर्ष 2003 में निर्दलीय चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे चैंपियन ने जीत के बाद कांग्रेस का दामन थामा था। तब वह मगरमच्छ के शिकार करने को लेकर प्रदेश में पहली बार सुर्खियों में आए थे।
देहरादून में चैंपियन की गाड़ी बच्चे को टक्कर मार कर भाग गई थी
वर्ष 2017 में विधायक चैंपियन की गाड़ी देहरादून के तुनवाला मे एक बच्चे को टक्कर मार कर भाग गई थी। इस टक्कर में बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया था और 20 दिन मैक्स हॉस्पिटल में रहने के बाद घायल बच्चों को बमुश्किल बचाया जा सका। जिसके खिलाफ बच्चे के परिजनों ने तहरीर भी दी थी लेकिन उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
पत्रकार को थप्पड़ मारना और बंदूक दिखाने का आरोप
पिछले वर्ष न्यूज़18 के एक पत्रकार ने विधायक चैंपियन पर होटल में बुलाकर थप्पड़ मारना और बंदूक दिखा कर धमकाने का आरोप लगाया था लेकिन तब भी प्रदेश भाजपा ने सिर्फ उन्हें खानापूर्ति करते हुए 3 माह के लिए पार्टी से निलंबित कर विरोध को शांत कर दिया था।
वीवीआइपी पार्टी में की फायरिंग
बात वर्ष 2014 की है जब चैंपियन कांग्रेस में हुआ करते थे। सितंबर माह में विधानसभा सत्र से पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने अपने आवास पर एक वीवीआइपी भोज रखा था।
इस पार्टी के दौरान विधायक प्रणव चैंपियन ने फायर झोंक दिया था जिसमें कांग्रेसी नेता विवेकानंद खंडूरी घायल हो गए थे। लेकिन तब पुलिस को दिए बयान में खंडूरी ने गिरकर घायल होना बताया था मगर कुछ दिन बाद ही तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने एक बयान दिया था कि डिनर के दौरान चैंपियन ने ही गोली चलाई थी।
उसके बाद पुलिस ने मामला तो दर्ज किया लेकिन चैंपियन को तुरंत जमानत मिल गई थी। सूत्रों के अनुसार विवेकानंद खंडूरी जी ने चैंपियन के पिता से अच्छे संबंध होने के कारण चैंपियन के खिलाफ बयान नहीं दिया था।
प्रदेश भाजपा नेतृत्व की शिकायत करने दिल्ली पहुंचे थे प्रणव
कुंवर प्रणव चैंपियन खानपुर विधानसभा सीट से लगातार चौथी बार विधायक जीत कर आए हैं। 9 कांग्रेसी विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए चैंपियन को इस बार भाजपा सरकार से पूरी उम्मीद थी कि उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा।
लेकिन जब उनकी यह महत्वाकांक्षा पूरी नहीं हुई तो वह प्रदेश पार्टी नेतृत्व की शिकायत लेकर सीधा केंद्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास चले गए थे। जिसके बाद उन्हें प्रदेश भाजपा से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और इसके बाद चैंपियन ने पार्टी से माफी मांगी थी।
मैत्री संस्था ने जताई आपत्ति
समाज सेवी संगठन मैत्री संस्था ने चैंपियन की भाजपा में वापसी से प्रदेश सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई है। संस्था की संस्थापिका श्रीमती कुसुम जोशी जी ने पूछा है कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि ऐसे दागी लोगों को भाजपा में लाना पड़ रहा है।
क्या आपके पास योग्य नेता नही है? जिन्होंने हमारी मां बहिनो को गालियां दी उनका स्वागत ऐसा हो रहा है जैसे कोई जंग जीतकर आये हो। ऐसे लोगों को प्रदेश सरकार भाजपा की सदस्यता देकर प्रदेश को क्या संदेश देना चाहती है यह समझ से परे है।