पूर्व कैबिनेट मंत्री ने लिखी मोदी को चिट्ठी कहा त्रिवेंद्र को हटाओ
देहरादून। बिहार चुनाव के परिणाम आने के बाद जहां उत्तराखण्ड भाजपा के नेता व कार्यकर्ता जीत का जश्न मनाकर पीएम मोदी की जय जयकार कर रहे थे, वहीं भाजपा से तीन बार विधायक एक बार मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता व संघ की पृष्ठभूमि से सरोकार रखने वाले लाखीराम जोशी ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को तत्काल मुख्यमंत्री पद से पद मुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि, मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के गंभीर प्रकरण है, इसलिए उन्हें पद से हटाया जाए जिससे इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो सके। वरिष्ठ भाजपा नेता के इस लेटर बम से उत्तराखण्ड की सियासत में अचानक भूचाल आ गया है और साफ दिखाई दे रहा है कि, किस तरह से अब भाजपा के अंदर विद्रोह की चिंगारी सुलगने लगी है। दीपावली से पूर्व जिस तरह से देश के प्रधानमंत्री को राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री ने पत्र लिखकर त्रिवेन्द्र सिंह रावत को निशाने पर लिया है, उससे विपक्षी दलों के हाथों में भी एक बड़ा मुद्दा मिलता हुआ नजर आ रहा है।
अब सबकी निगाहें देश के प्रधानमंत्री पर टिकी हुई है कि जो देश भ्रष्टाचार मुक्त करने का सपना देख रहे है वह उत्तराखण्ड के पूर्व मंत्री के इस पत्र को कितनी गंभीरता से लेते है? उत्तराखण्ड का सियासी पारा इन दिनों काफी उफान पर है। जहां कांग्रेस, उक्रांद व आम आदमी पार्टी ने सरकार के खिलाफ बिगुल बजा रखा है और राज्य में पनप रहे भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने सड़कों पर उतरकर उत्तराखण्ड सरकार को घेरने का मिशन चला रखा है, जिससे सरकार की नींद उड़ी हुई है। वहीं कुछ समय पूर्व रायपुर से भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ ने उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के खिलाफ एक भाजपा महिला नेत्री द्वारा की गई अशोभनीय टिप्पणी को लेकर लेटर बम फेंका था, उससे उत्तराखण्ड से लेकर दिल्ली तक भाजपा में हलचल मच गई थी।
9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार का विज्ञापनों के सहारे गुणगान कर राज्य को उंचाई पर ले जाने का दम भरा तो उसके मात्र दो दिन बाद ही भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री लाखी राम जोशी ने मुख्यमंत्री के इस गुणगान की हवा निकालते हुए देश के प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा जिसमें कहा गया कि उत्तराखण्ड में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने तीन वर्ष हो चुके है और इन तीन वर्षाें में मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अनेक बार अपने विवादास्पद निर्णयों से उत्तराखण्ड सरकार व भारतीय जनता पार्टी को बार-बार शर्मसार तो किया ही है और वर्तमान में हाईकोर्ट नैनीताल द्वारा भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले में त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश पारित किया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा चार सप्ताह के लिए उक्त आदेश पर स्टे किया गया है। पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री से कहा गया है कि काला धन व भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए उनके द्वारा 2016 में नोटबंदी की गई थी। देश की जनता ने इस निर्णय का भरपूर समर्थन किया था। पत्र में कहा गया कि आज उत्तराखण्ड की जनता इस बात से हतप्रभ कि उनका मुख्यमंत्री नोटबंदी के दौरान झारखंड का पार्टी प्रभारी होने के नाते वहां से अपने करीबियों के बैंक खातों में काला धन जमा करवा रहा था। हाईकोर्ट नैनीताल ने भ्रष्टाचार के इसी गंभीर मामले को देखते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया है। इस कारण पार्टी की छवि उत्तराखण्ड में प्रतिदिन धूमिल होती जा रही है।
समय रहते हुए इस गंभीर मामले का पार्टी नेतृत्व द्वारा संज्ञान लिया जाना अति आवश्यक है। प्रधानमंत्री से लाखीराम जोशी ने निवेदन कि है कि उक्त भ्रष्टाचार के गंभीर प्रकरण को देखते हुए त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से तत्काल पद मुक्त किया जाए जिससे इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो सके। लाखीराम जोशी के इस पत्र ने उत्तराखण्ड भाजपा के अंदर एक नया भूचाल पैदा कर दिया है।