ठंडे बस्ते में पड़ी कांग्रेस शासनकाल में हुए घोटाले की जांच। आखिर कब बेनकाब होंगे गुनहगार
देहरादून। उत्तराखण्ड में कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुये भ्रष्टाचार व घोटालों की जांच के लिए भाजपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता के साथ वादा किया था। उत्तराखण्ड में भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार आने के बाद यह उम्मीद जगी थी कि कांग्रेस शासनकाल में हुए कुछ बडे घोटालों की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। डबल इंजन सरकार के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कांग्रेस शासनकाल में हुए सिडकुल घोटाले की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर जल्द से जल्द जांच पूरी करने के आदेश दिये थे। तत्कालीन आईजी अजय रौतेला के कार्यकाल में सिडकुल घोटाले की जांच में शुरूआती दौर में चंद तेजी दिखाई दी थी, लेकिन उसके बाद इस मामले की जांच ठंडे बस्ते में लम्बे अर्से तक पडी रही और कुछ माह पूर्व जब गढवाल रेंज में अभिनव कुमार को आईजी के रूप में तैनात किया गया तो उन्होंने सिडकुल घोटाले की जांच में तेजी लाने के लिए बडी पहल की और घोटाले की जांच कर रहे जांच अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर जल्द से जल्द जांच पूरी करने के आदेश दिये थे।
तो लगा था कि सिडकुल घोटाले के गुनाहगार जल्द बेनकाब हो जायेंगे। लेकिन इसी बीच आईजी का तबादला एडीजी प्रशासन में हो गया और अब फिर वही सवाल आकर खडा हो गया कि आखिरकार राज्य में हुए सिडकुल के बडे घोटाले में शामिल रहे गुनाहगार कब बेनकाब होंगे? सवाल यह है कि, यह घोटाला कांग्रेस शासनकाल में हुआ था, तो इस घोटाले की परतें खोलने के लिए एसआईटी को तेजी के साथ काम करना चाहिए था, लेकिन इस घोटाले में एसआईटी की सुस्त चाल से आज भी कई सवाल हवा में तैर रहे हैं कि, आखिरकार क्या यह घोटाला बेपर्दा होगा या आने वाले समय में यह घोटाला राज्य में हुए दर्जनों बडे घोटालों की तरह फाइलों में दफन होकर रह जायेगा?
उल्लेखनीय है कि, 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज होने के लिए कांग्रेस शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार व धोटालों की जांच कराने का भाजपा ने दम भरा था और उसी से राज्य की जनता को आशा बंधी थी कि, राज्य में पनपे भ्रष्टाचार व घोटालों में शामिल उन राजनेताओं व अफसरों पर शिंकजा कसा जायेगा जिन्होंने भ्रष्टाचार के दलदल में खूब गोते लगाये थे? उत्तराखण्ड की जनता ने 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया तो उससे उनके अन्दर एक आशा की किरण जागी थी कि, अब भ्रष्टाचार व घोटाले करने वाले सभी चेहरे बेनकाब हो जायेंगे। हांलाकि राज्य के अन्दर ऐसा देखने को बहुत कम मिला जिससे आवाम के मन में एक बडी नाराजगी दिखाई दी कि सरकार ने भ्रष्टाचारी व घोटालेबाजों को बेनकाब करने के लिए कोई काम नहीं किया?
सिडकुल में हुए बडे घोटाले की जांच कराने के लिए खुद मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत आगे आये और उन्होंने गढवाल रेंज के तत्कालीन आईजी रहे अजय रौतेला के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन कर उन्हें सिडकुल घोटाले के गुनाहगारों को बेनकाब करने का टास्क सौंपा था। अजय रौतेला ने सिडकुल घोटाले की जांच अपने हाथ में ली और कुछ समय तक तो इस जांच में कुछ तेजी दिखाई दी लेकिन अचानक इसकी जांच ठंडे बस्ते में जाती दिखाई दी। तो सवाल उठे थे कि आखिर सिडकुल घोटाले की जांच में क्यों तेजी नहीं आ पा रही है? अजय रौतेला के कुमांऊ तबादले के बाद अभिनव कुमार को गढवाल रेंज की कमान मिली तो उन्होंने सिडकुल घोटाले की जांच कर रहे अफसरों को जांच में तेजी लाने के आदेश दिये और उन्होंने हर माह इस घोटाले की खुद समीक्षा की तो यह कयास लग रहे थे कि इस घोटाले के गुनाहगार जल्द बेनकाब हो जायेंगे।
इसी बीच अभिनव कुमार का तबादला एडीजी प्रशासन के रूप में हो गया और अब इस घोटाले की जांच कौन करेगा यह देखने वाली बात होगी? भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के तहत सत्ता चलाने का इरादा रखने वाली त्रिवेन्द्र सरकार के लिए सिडकुल घोटाले के राज को बेनकाब करने का सबसे बडा इम्तिहान माना जा रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि, क्या इस घोटाले को अंजाम देने वाले चेहरे राज्य की जनता के सामने आयेंगे या फिर आज तक हुये बडे-बडे घोटालों की तरह यह घोटाला भी खामोशी की चादर ओढ़ लेगा?