शिक्षा विभाग के अधिकारी जीरो टॉलरेंस की सरकार पर भारी
– तबादलों के खेल में सरकार का डबल इंजिन भी फेल
देहरादून। प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकार के समय किये गए बेसिक शिक्षको के लगभग 586 ट्रांसफर शरुवात से ही चर्चा में बने हुए हैं। प्रदेश की वर्तमान सरकार ने सत्ता संभालते ही इन सभी शिक्षकों को उनके मूल स्थानों (पर्वतीय क्षेत्रों) में वापस भेजने के आदेश पर मा० उच्च न्यायालय के आदेशानुसार ट्रांसफर एक्ट में आच्छादित 253 शिक्षकों को राहत दी गयी थी। मुख्य सचिव समिति के निर्णय तक ऐसे 253 शिक्षकों को रोकते शेष बचे शिक्षकों को वापसी का आदेश 659 दिनांक 27/09/19 को जारी किया। जिसे इन अपात्र शिक्षकों द्वारा पुनः मा० उच्च न्यायालय में चुनौती देकर स्टे प्राप्त कर लिया।
वहीं ताज़ा मामला 17 नवम्बर 2020 को जारी शासनादेश में सामने आया, जिसमे पिथौरागढ़ में तैनात शिक्षक सुभाष चन्द्र रतूड़ी को उसके ग्रह जनपद टिहरी गढ़वाल में सड़क मार्ग हेतु अधिग्रहित कुछ जमीन के एवज में हरिद्वार में स्थानांतरित कर दिया गया। जबकि ट्रांसफर एक्ट के अनुसार भूमि अधिग्रहण पर विस्थापित होने पर ही विस्थापित स्थान पर ट्रांसफर का प्रावधान है। सचिव शिक्षा आर. मीनाक्षी सुंदरम द्वारा उक्त ट्रांसफर को निरस्त कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात कही थी और सड़क मार्ग के लिए अधिग्रहित भूमि का लोक निर्माण विभाग द्वारा मुआवजा राशि मिलती हैं। संज्ञान में यह भी आया है कि, इससे पहले उक्त शिक्षक द्वारा 3-4 मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाकर ट्रांसफर रुकवाने का प्रयास किया गया, जिसमें वह असफल रहा।
मुख्य सचिव समिति द्वारा भी भूमि अधिग्रहण या आपदा के कारण विस्थापित के मामलों में ट्रांसफर एक्ट के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करते हुए सक्षम स्तर के प्रमाण पत्र होने पर ही ट्रांसफर करने का आदेश दिया है। उक्त शिक्षक का भूमि अधिग्रहण प्रमाण पत्र देवप्रयाग तहसील से दिनांक 26/08/20 का है, जबकि समिति की बैठक गत वर्ष 02 दिसम्बर 2019 को हुई थी। इससे स्पष्ट है कि, मुख्य सचिव समिति के नाम पर खेल हो रहा है। जिसमे शासन ओर विभागीय अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध है।
इसी के साथ अब इस शिक्षक की रिट याचिका 2797/2019 को भी मा० उच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए 19/11/20 को जारी आदेश में उनके मूल स्थान पर भेजने का आदेश दिया है, लेकिन निदेशक के बार-बार आदेश करने के बाद भी जनपदीय विभागीय अधिकारियों की सरपरस्ती में उक्त शिक्षक आज तक हरिद्वार में ही बना हुआ है।
मा० शिक्षा मंत्री के निर्देश पर विभागीय अधिकारी जांच के नाम पर लीपापोती कर सभी ट्रांसफर नियमानुसार हुए बता रहे है। जबकि हालिया रिपोर्ट के अनुसार शिक्षकों की कमी के चलते सरकारी स्कूलों की छात्र संख्या हर साल घट रही है।
वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री ओर शिक्षा मंत्री भी कई बार इन शिक्षकों को पहाड़ भेजने का आदेश दे चुके है। अब मा० उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवमानना शासन और विभागीय अधिकारियों द्वारा की जा रही हैं। इससे तो यही अनुमान लगाया जा सकता है कि, जीरो टॉलरेंस का दम भरने वाली डबल इंजिन की सरकार भी इन शिक्षकों के सामने फेल हो रही हैं।