राज्य में जहां एक ओर उच्च शिक्षित युवा बेरोजगार भटक रहे है, विभिन्न विभागों में उपनल के माध्यम से इंजीनियरों को भी महज 15-20 हजार का मामूली वेतन दिया जा रहा है| जहाँ बजट के आभाव में राज्य के मेडिकल कॉलेज समेत कई विभागों में कई माह से वेतन नही दिया गया हो,उस राज्य में मुख्यमंत्री के कृपा-पात्रों पर सरकारी खजाने को लुटाने का यह उदाहरण निंदनीय है।
सरकारी रोज़गार चाहने वाले बेरोजगारों को उच्च शैक्षिक-तकनीकी योग्यता हासिल करने के बजाए मुख्यमंत्री अथवा किसी मंत्री की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए| मुख्यमंत्री की अनुशंसा पर रखा गया निजी स्टॉफ, जिनका वेतन मान प्रदेश में वरिष्ठ PCS और IAS से भी ज्यादा हैं| इन पदों के लिए बस एक ही शैक्षिक और तकनीकी योग्यता मांगी गई….”मुख्यमंत्री की कृपा”
कई कर्मचारियों को राजधानी देहरादून में टाईप-2 और 3 के सरकारी आवास दिए गए है| 6 OSD का नाम लिष्ट में है, दो और OSD (जगदीश चंद्र खुल्वे जी और राम मूर्ति सिंह) की नियुक्ति फिर की गई हैं।28 की संख्या में रखे गए मुख्यमंत्री के निजी स्टॉफ पर सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए लुटाए गए है, जबकि मुख्यमंत्री जी के पास भारी-भरकम सरकारी अमला अलग से मौजूद है।
जो कंप्यूटर सहायक के पद पर तैनात है उनको 98,388 का वेतन दिया गया है|लाखों के वेतन वाले इन कर्मचारियों में से कई को सरकारी खजाने से मोबाइल भी दिया गया है
सचिवालय प्रशासन के अनुसार मंत्री मदन कौशिक जी के PRO पद पर सुमित भार्गव जी नियुक्त है|तो फिर दिनेश बहुगुणा जी को उनका PRO दिखा कर देहरादून में सरकारी आवास कैसे आवंटित हो गया?