पुरोला(नीरज उत्तराख॔डी):
- अरसा,उडद दाल की बडील,चटनी का स्वाद खींच रहा है बहार से आने वाले लोगों को।
- देहरादून परेड ग्राउण्ड में भी कई बार सज चुकी है,रवांई की रसोई।
अगर आप रवांई की संस्कृति से सरोकार रखते है और संकृति के विभिन्न पहलुओं से रू-ब-रू होना चाहते है| उसके रंग में रंग कर सराबोर होना और रवांई के पारंपरिक पकवानों का जायका लेना चाहते है, तो पुरोला में चल रहे रवांई महोत्सव में अपनी तशरीफ जरूर लाएं । यहां आप को रवांई की वेषभूषा और खान पान की झलक देखने को मिलेगी।
पहली बार रवांई की रसोई के परंपरागत पकवान बसंत मेले में आकर्षण का केन्द्र बनें है,पुरोला नगर पंचायत के अंतर्गत चल रहे रंवाई बसन्तोत्सव विकास मेले में लोगों की खूब भीड़ जुट रही है, लोग रंवाई की रसोई में बने पारंपरिक,पहाड़ी व्यंजनों का खूब जायका ले रहे हैं ।
वहीं रामा सिराईं कमल सिराईं की इस बाजार की पौराणिक जातर व बसन्तोत्सव मेले में गांव से महिलाएं पारंपरिक वेषभूषा कुर्ती,डांठू,ऊनी धोती (पखटी) पहन आ रही हैं तो पुरुष ऊनी सुंतण,फेड सिकोली(टोपी) कुर्ता व कोट में सजे दिख मेले का आकर्षण बढा कर लोक संस्कृति को संरक्षित करने की अलख जगा रहे है।
दूसरी ओर अब मेला स्थल पर सजी स्टाल रंवाई की रसोई के विशुद्ध पहाड़ी व्यंजन सबका ध्यान आकर्षित कर पकवानों का स्वाद चखने को लालायित कर रही है। रवांई रसोई में शुद्ध जैविक उत्पादों से बनें पारंपरिक पकवान चावल आटे से बने अरसे, मसूर दाल की बडील,पकोड़े,मंडुवे के आटे के बने डिंडके, सिलबट्टे की चटनी,सिडक़े,अश्के,लेमड़ी,बटाणी,घेंड, लगड़ी आदि कई प्रकार के व्यंजन आंगतुकों को परोस जा रहे हैं । रवांई रसोई मेले में विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हैं।
रंवाई रसोई कि संचालिका नौ गांव की जमुना रावत व कौशल्या कहती हैं कि बीते दो दशकों से रवांई क्षेत्र के जातर,त्योहारों,विवाह समारोह व मेलों में लोगों की थालियों से पारंपरिक व्यंजन विलुप्त होते जा रहे है।
पारंपरिक खान पान,व्यंजनों को संरक्षित रखने के लिए कई ग्रामीण महिला समूहों की मदद से यह कार्य शुरु किया है, कई बड़े बड़े शहरों में भी हाट मेलों व समारोह में स्टाल लगा कर रंवाई रसोई में बने शुद्ध व स्वास्थ्यवर्धक पारंपरिक पकवानों के लजीज स्वाद से लोगों को परिचित करवाने का काम कर रहे हैं।
नगर पंचायत अध्यक्ष हरि मोहन नेगी ने बताया कि रवांई क्षेत्र की अपनी पौराणिक,पारंपरिक रीतिरिवाजों, खान-पान, पहनावे गीत,संगीत,वेशभूषा को संरक्षित करने के लिए अपनी चीजों को बढ़ावा देना मेले के आयोजन का मुख्य उद्देश्य है,सरकार को भी मेले महोत्सव को प्रोत्साहित कर संस्कृति,भाषा,पहनावे को संरक्षित करने पर जोर देना चाहिए।