रिपोर्ट / नीरज उत्तराखण्डी
पुरोला।
बीएल0 जुवांठा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला प्रसव पीड़िता महिलाओं को उपचार देने की बजाय रैफरल सैंटर बन कर रह गया है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात इस कदर हैं कि दूरदराज गांव से आने वाली प्रसव पीड़ित बेदना लेकर रात्रि में किसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो पंहुच जाती हैं किंतु इंतजार के बाद उपचार मिलने की जगह सीधे हायर सैंटर रैफर की पर्ची थमा दी जाती है नतीजतन देहरादून ले जाते अधिकांश प्रसव पीडिताएँ रास्ते में ही बच्चे को जन्म देती है तथा कई महिलाओं की रास्ते में ही मौत हो जाती है।
शनिवार देर रात को मोरी विकासखण्ड के सिरगा गांव की नीलम 23 वर्ष पत्नी रेवदास करहाते,चिल्लाते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पँहुच तो गयी लेकिन बच्चा उल्टा बताकर हायर सेंटर जाने की सलाह दी| लेकिन निजी वाहन व आर्थिक तंगी के चलते व्यवस्था नही कर पाए,घण्टों सड़क किनारे करहाते रही।
प्रसव पीड़ा अधिक होने पर देर सांय फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे जहां फिर डॉक्टरों ने जांच कर रेफर की पर्ची थमा दी|विशेषज्ञ डॉक्टर के न होने से 108 की सवारी कर देहरादून को ही जाना पड़ा,।
वंही गत पिछले सप्ताह कुमार कोट की प्रीति राणा पत्नी जय भूवन को प्रसव पीड़ा के चलते अस्पताल लाया गया लेकिन बगैर जांच करे देहरादून के लिए रेफर कर दिया। देहरादून ले जाते समय मसूरी के केंपटी फॉल के पास रात को महिला ने सामान्य रूप से बच्चे को जन्म दिया।
इसी सप्ताह पुरोला के बेष्टी गांव की रक्सीना पत्नी अरविंद सिंह ने देहरादून की ओर जाते नौगांव के पास ही असहनीय पीड़ा से दम तोड़ दिया।परिजन त्रिभुवन राणा,अरविंद सिंह व सुरेश कुमार ने कहा कि अस्पताल में न महिला विशेषज्ञ है न कोई सुविधाएं हैं| लोगों को मज़बूर होकर प्रसव के लिए अन्यत्र जाना पड़ता है समस्याएं तो गरीब लोगों को हो रही है,क्योंकि हर कोई देहरादून का खर्च वहन करने को सक्षम नही है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पुरोला से दो नर्सिग स्टाफ को उतरकाशी समेत दो डाक्टरों को मोरी व भटवाड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संबध किया गया है स्टाफ की कमी तो है ही लेकिन हर संभव इलाज मरीजों को दिया जा रहा है।मोरी से आई प्रसव पीड़िता को बच्चा उल्टा था जिस कारण रेफर करना पड़ा उन्हें एल्ट्रासाउंड कर पहले ही अवगत करवाया गया था।