उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) पर भेदभाव के आरोप लगाये है |
महिलाओं का कहना है कि, ग्रामीण विकास मंत्रालय का उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को देश की मुख्यधारा से जोड़ना और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये उनकी गरीबी दूर करना है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मंत्रालय ने जून, 2011 में आजीविका-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की शुरुआत की थी। लेकिन अब बिल्कुल इसके विपरीत कार्य हो रहा है|
उनका कहना है कि,राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में बैठे अधिकारी गरीब और दिव्यांग महिलाओं को रोजगार न देकर सक्षम और साठगांठ रखने वाली महिलाओं को रोज़गार देते है| और जब उनसे इस बात की जाती है तो वो हम पर ही आरोप लगाते है |
ग्रामीण महिलाओं की सहायता के लिए स्वयं सहायता समूह चलाने वाली कल्पना बिष्ट का कहना है कि, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा ग्रामीण महिलाओं के साथ पक्षपात किया जा रहा है| उन्होंने बताया कि,मेरे साथ 800 महिलाएं कार्य करती है जिसमें से 200 महिलाएं अति गरीब है|जिन्हें आजीविका की बहुत ही ज्यादा जरूरत है| लेकिन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत केवल और केवल सक्षम और साठगांठ रखने वाली महिलाओं को रोज़गार को ही रोजगार दिया जा रहा है |
कल्पना बिष्ट ने बताया कि,जब इसके लिये अधिकारियों से बात की जाती है तो मुझ पर ही आरोप लगाए जाते है | और अध्यक्ष पद से हटाने की कोशिश की जाती है |
शासन ग्रामीण महिलाओं पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है,केवल और केवल वोट बैंक की राजनीति ही की जा रही है |
डॉ० इन्दु नवानि ने कहा कि,आत्म निर्भर भारत की बात तो सरकार करती है लेकिन महिलाओं के पास रोजगार ही नहीं है जिसे शासन प्रशासन देख ही नहीं रहा|तो कैसे भारत की महिलाएं आत्म निर्भर बनेंगी|
साथ ही एक साथी महिला मीणा ने बताया कि,मै दफ्तरों में रजिस्टर मेंटेनेंस का काम करती हूँ,मेरे काम की तारीफ खुद अधिकारी भी करते है,लेकिन मुझे अब काम ही नहीं मिल पा रहा है|
मीणा ने बताया कि,मैं विधवा हूँ,2 बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी मेरी है काफी समय से मै आजीविका मिशन से जुड़ी हूँ लेकिन मुझे कोई भी फायदा नहीं लग पा रहा है|
एक अन्य महिला ने बताया कि,सक्षम महिलाएं गरीब महिलाओं के हुनर को खरीदना चाहती है|वो हमारे काम को अपना बनाकर आगे जाना चाहती है|