रिपोर्ट /राजकुमार सिंह परिहार
जानिए क्या है माजरा ! सोशल मीडिया मे छवि सुधारने के लिए कैसे धमकाया जा रहा है बच्चो को ? क्या है इसका पूरा सच? सरकार अपनी छवि चमकाने के लिए आंकड़ों से क्यों खेल रही है? जहां एक तरफ आंकड़ों को जारी होने से रोका जा रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकारी संवाद आंकड़ों पर आधारित हो रहा है।
सरकार और सोशल मीडिया के बीच चल रही तकरार के साथ ही शुक्रवार शाम से एक नए बवाल की शुरुआत हो गई। दरअसल, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में मंगलवार को सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द करने का फैसला लिया गया। इस फैसले के बाद देशभर के छात्रों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस फैसले पर खुशी और संतोष व्यक्त किया। छात्रों के साथ ही अभिभावकों ने भी इस फैसले को उचित ठहराया। छात्रों का कहना है कि वे बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर चुके थे, लेकिन कोविड संक्रमण के इस दौर में परीक्षा केंद्रों तक जाकर नियमित रूप से परीक्षाएं देना अभी भी खतरे से खाली नहीं है। गौरतलब है कि इस बार सीबीएसई की 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 14,30,247 स्टूडेंट्स को शामिल होना था। सभी राज्यों ने बिना कुछ कहे प्रधानमंत्री के इस फैसले का स्वागत करते हुए इसे लागू कर दिया। बात यहीं आकर खतम नहीं हुई बल्कि यहाँ से सुरू होती है …..
बात करते हैं कल शाम 4 बजे से ट्विटर पर ट्रेंड करते #ThankYouModiSir की। जिसे केन्द्रीय विद्यालय के अलग-अलग ब्रांचो के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया। जिसमे एक विद्यालय से चार बच्चों का धन्यवाद मोदी सर का वीडियो पोस्ट किया गया। जिसे प्रतीक सिन्हा,जुबेक आदि ने एक्सपोज करते हुए ट्विटर पर पोस्ट किया है। जिसे देखकर कोई भी यही कहेगा की कोई भी सरकार इतना कैसे गिर सकती है ? सरकार तो कीर्तिमान स्थापित करती है।
ट्विटर पर ट्रेंड चलाया बीजेपी के आईटी सेल ने और ये निकल गया पूरा का पूरा टूलकिट। टूलकिट जब एक्सपोज हुआ तो चौकाने वाला खुलासा सामने आया है। केन्द्रीय विद्यालय के जो अलग-अलग स्कूल है, अलग-अलग जिलों की शाखाएँ है, जो केन्द्र की मोदी सरकार के अधिकार क्षेत्र मे आती हैं। वहाँ के प्रधानाचार्य, शिक्षकों ने बच्चों पर दबाव बनाया व्हाट्सप्प ग्रुप के अन्दर मोदी जी की तरीफे करने की कुछ विडियों बनाने का। जिनकी चैट लीक होने से इस मामले का खुलासा हुआ और पूरी की पूरी बीजेपी सरकार बैकफूट पर आ गई है। उस चैट मे आप देख सकते है कि टीचर धमकी तक दे रहे है बच्चों को कि आपने विडियों बनाकर ट्वीट नहीं किया तो फिर अच्छा नहीं होगा। बच्चों को धमकाने का ये अधिकार इन्हे किसने दिया ? हैरत होती है कि कोई अपनी पीआर एक्ससाइज़ मे इतना नीचे कैसे जा सकता है।
“राहुल गांधी जी ने कुछ दिन पहले अपने एक बयान मे कहा था कि मोदी जी के लिए सबसे पहले अपनी छवि है बांकी चीजे बाद मे।“
जो बाते आज इस मोड़ पर सच साबित होती नजर आ रही है। प्रतीक सिन्हा ने एक ट्वीट कर बताया है कि मोदी टूलकिट केन्द्रीय विद्यालय के माध्यम से पूरे देश मे सबके सामने आ गई है। आप इस बात से नदाजा लगा सकते है कि देश मे क्या चल रहा है, जो देश कि जनता को दिखाया जा रहा है वो आंखिर कितना सच है। सारे ट्वीट एक ही फॉर्मेट मे किए गए है। मोदी जी को टैग भी किया गया है, सारी पोस्टो मे एक जैसा ही संदेश का उपयोग किया गया है।
विपुल कपूर ने एक पोस्ट करते हुए कहा है कि देखिये कैसे केन्द्रीय विद्यालय के शिक्षक बच्चों पर अनावश्यक दवाब बनाकर धमका रहे है कि वीडियो बनाकर पोस्ट करें वर्ना अंजाम ठीक नहीं होगा। वहीं शिकक्ष लिखता है कि आज आप हमारी नहीं सुनोगे तो कलको हम आपकी नहीं सुनेंगे। अपनी राजनीति के लिए कैसे बच्चों को धमकाया जा रहा है आप अंदाजा लगा सकते हैं। आंखिर क्यूँ ये सब करने कि नौमत सरकार को आन पड़ी है। सरकार मे बैठे मंत्री बस ट्वीट या पोस्ट को रीट्वीट व शेयर करते नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ सालों से देश कि जनता देख रही है कि मंत्रालय किसी का भी हो चर्चा व घोषणा मोदी जी ही करेंगे।
बीजेपी कि कथनी और कथनी का अन्तर जनता के सामने आ गई है। जिसका भुगतान पूरे देश कि जनता को करना पद रहा है। आज तक किसी भी सरकार ने ऐसा नहीं किया, कभी करने के बारे मे सोचा भी नहीं होगा। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जो सरकार अपनी छवि बचाने के लिए बच्चों का उपयोग करने से पीछे नहीं है तो सोच सकते है इनकी हालत क्या होगी। यहाँ तक कि शिक्षा मंत्री निशंक इस पर कार्यवाही करने के बजाए रीट्वीट करते हुए इस पर मोदी जी का धन्यवाद लिखते नजर आ रहे है। चुनाव के लिए सब संभव है पर बच्चों कि शिक्षा को आखिरी मौके पर निरस्त करना कितना सही है ?
जब राजधानी अनलॉक होने की तैयारी मे, तो परीक्षाएं क्यूँ नहीं —
अब बात करते है देश कि राजधानी दिल्ली कि जहा परीक्षा निरस्त होने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में धीरे-धीरे कोरोना की स्तिथि बेहतर हो रही है जिसे देखते हुए हमने अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की है। 7 जून को सुबह 5 बजे तक लॉकडाउन जारी रहेगा। इसके बाद काफी सारी एक्टिविटी में रियायत दी जा रही है। पिछले हफ्ते फैक्ट्री और कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी खोली थीं और उसके बावजूद स्तिथि कंट्रोल में है।
क्या बच्चों के भविष्य को ध्यान मे रखते हुए 50 फीसदी क्षमता के साथ परीक्षा संचालित नहीं की जानी चाहिए थी ? हम आंकड़ों में बड़ी रुकावट का सामना कर रहे हैं। हमें आंकड़े प्रपट होते है, वे सभी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) जैसी सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी किए जाते हैं। एनएसएसओ का अब तक एक भी सर्वेक्षण ऐसा नहीं आया जिस पर विवाद न हुआ हो। इसका सबसे ताजा उदाहरण है बेरोजगारी के आंकड़ा जो पहले मीडिया में लीक हो गए और बाद में कुछ महीनों की देरी के बाद आधिकारिक रूप से जारी कर दिए गए।
सरकर लगातार भ्रम की स्थिति बना रही है। लोग घरों मे कैद होने को मजबूर है सरकार का ध्यान चुनाओ कि तैयारियों पर है। देश किस ओर बाद रहा है आपको अंदाजा भी नहीं है।
“राहुल गांधी ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि मोदी सरकार घमंडी है, वास्तविकता की बजाय पर धारणा पर ध्यान केंद्रित करती है। कोरोना वायरस से केवल विनम्रता अपनाकर लड़ा जा सकता है। भारत अब विश्व में कोराना वायरस का केंद्र है, हम जो अपने देश में देख रहे हैं उससे पूरी दुनिया विचलित हो गई है। कोविड-19 पूर्ण तबाही लाया है, यह लहर नहीं है, यह सुनामी है, जिसने सब कुछ तबाह कर दिया है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री खुद की छवि बनाने में पूरी तरह से और ठोस तरीके से लगे हुए हैं और उनका पूरा ध्यान असल बात की बजाय अपनी छवि पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने कोराना वायरस फैलाने वाले कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया और उन कार्यक्रमों की प्रशंसा भी की। “
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया जिसमें इस साल 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षा फीस माफ किए जाने का आग्रह किया गया था। दलील दी गई थी कि कई परिवार लॉकडाउन के चलते आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जस्टिस अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम.आर. शाह की खंडपीठ ने कहा कि वो कैसे सरकार को इस बारे में दिशा निर्देश जारी कर सकते हैं।
छात्रों और अभिभावकों की ओर से एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका लगाई थी। इससे पहले इसी मुद्दे पर हाई कोर्ट ने कहा था कि कानून का पालन करते हुए और सरकार की नीतियों को देखते हुए ही कोई फैसला लिया जाए। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक छोटी सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि लॉकडाउन के चलते लोगों की आमदनी कम हो गई है। वो बहुत मुश्किल से दो वक्त का खाना जुटा पा रहे हैं। याचिका में सलाह दी गई थी कि पीएम केयर फंड से बच्चों की फीस दी जाय। इस पर सरकार ने अब तक कोई अमल नहीं किया बल्कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुये परीक्षा ही रद्द कर दी गई। अभी तक किसी को भी यह नहीं मालूम कि भविष्य मे होने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं मे इस बार प्रमोट हुए बच्चे प्रतिभाग कर भी पाएंगे या नहीं ?
उदाहरण के तौर पर कह सकते हैं कि ——
आज भी टीवी चैनल पर हमेशा की तरह मतदाताओं के चमकते चेहरे दिख रहे होते हैं जो उनके खुश होने का एहसास कराते हैं। कुतर्क इस सीमा तक पहुंच गया है कि भारत की विकास दर की तुलना अमेरिका से की जा रही है। टेलीविजन कभी जनता को यह नहीं बताते कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था का आकार क्या है और विकसित देशों में कम विकास दर भी विकासशील देशों की ऊंची विकास दर से अधिक महत्व रखती है। इस तरह की व्याख्या कल्याणकारी होने का भ्रम पैदा करती है। विश्वसनीय आंकड़ों की कमी के कारण इस तरह का दुष्प्रचार बहुत-सी खाली जगह घेर लेता है। और हम खुशी-खुशी इस दुष्प्रचार भरोसा भी कर लेते हैं।