स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने क्वारंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओ को लेकर दायर जनहित याचिकाओं की वीडियो कांफ्रेसनसिंग के माध्यम से सुनवाई की। खण्डपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को पांच बिंदुओं पर आदेश दिए हैं ।
(1)न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार से कहा है कि कोरोना की तीसरी लहर के हिसाब से तैयार रहने की जरूरत है।
(2)न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए है कि उत्तराखंड को लाइफ सेविंग ड्रग्स की निर्बाध रूप से सप्लाई करने को कहा है।
(3)न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देशित करते हुए कहा है कि जिन लोगों का आई.डी.कार्ड की वजह से वैक्सीनेशन नही हो पा रहा है, उनके लिए जिलास्तरीय टॉस्क फोर्स का गठन किया जाए।
(4)पर्वतीय क्षेत्रों में आशा वर्कर, होमगार्ड और नर्सो की कमेटी बनाकर घर घर जाकर सर्वे कराकर जिन लोगो को वैक्सीनेशन नहीं हुआ है, उन्हें वैक्सीन लगाई जाए और उन लोगो को चिन्हित भी किया जाय।
(5)न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि प्राइवेट अस्पतालों द्वारा कोविड मरीजो से मनमाना पैसा वसूला जा रहा है । इसपर न्यायालय ने सरकार से फिर से कहा कि जो शासनादेश पूर्व में जारी किया गया था उसे निरस्त कर दोबारा से जारी करे साथ में यह भी स्पस्ट करें कि किस बीमारी के लिए कितना खर्चा तय किया है ? इसके बाद भी कोई हॉस्पिटल ओवर चार्ज करता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही करें। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।
मामले के अनुसार दुष्यंत मैनाली और देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने क्वारन्टीन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर उच्च न्यायालय में अलग अलग जनहित याचिकायें दायर की थी। पूर्व में बदहाल क्वारंटाइन सेंटरों के मामले में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा था कि उत्तराखंड के सभी क्वारंटाइन सेंटर बदहाल स्थिति में हैं । सरकार की तरफ से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है। जिसका संज्ञान लेकर न्यायालय ने अस्पतालों की नियमित मॉनिटरिंग के लिये जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में जिलेवार निगरानी कमेटीया गठित करने के आदेश दिए थे और कमेटियों से सुझाव माँगे थे।