स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
कोरोना महामारी की मार दुनिया में कहीं पड़ी है तो वो इन नौनिहाल छात्र छात्राओं पर पड़ी है, जिन्हें ऑनलाइन पढ़ाई के लिए घने जंगल से गुजरते हुए पहाड़ी के टॉप पर जाना पड़ता है । इन नाबालिगों को पढ़ाने के लिए, गांव के कुछ लोग खूंखार जानवरों वाले जंगल से गुजरकर पहाड़ी पर ले जाते हैं ।
नैनीताल जिले के दुर्गम बेतालघाट के कई लोग बाहरी राज्यों में काम करते हैं । कोरोना काल में काफी लोग वापस घर लौट आए हैं, जिनके बच्चे अभी भी मैदानी क्षेत्रों के स्कूलों में पढ़ते हैं और बेतालघाट से ही ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं । इन बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए
इंटरनेट की जरूरत होती है । गांव में केवल बी.एस.एन.एल.का टावर होने के कारण उसी पर निर्भर होना पड़ता है । टू जी टावर से बहुत ही हल्की इंटरनैट सेवा मिल पाती है । कुछ तेज इंटरनैट के लिए घने जंगल को पार कर पहाड़ी के टॉप में जाना पड़ता है । केवल यहीं से बच्चे अपने अपने स्कूलों की ऑनलाइन पढ़ाई कर पाते हैं, इसलिए उन्हें ये जोखिम उठाना ही पड़ता है ।
बच्चे इस व्यवस्था से काफी परेशान हैं । बच्चों को सवेरे दस बजे से दोपहर दो बजे तक दो किलोमीटर खड़ी चढ़ाई वाली पखडण्डी से गुजरकर पहाड़ी टॉप पर पहुंचना पड़ता है । ये बच्चे कक्षा एक से लेकर कक्षा तीन तक के हैं, जिन्हें अकेले बिल्कुल नहीं छोड़ा जा सकता । कभी कभी मौसम की मार भी बच्चों पर भारी पड़ती है ।
नंदन सिंह बोरा, समाजसेवी ।
इंटरनेट नहीं होने का नुकसान ग्रामीणों को वैक्सिनेशन कार्यक्रम में भाग लेते वक्त भी हो रहा है, जब इंटरनेट की बेहद धीमी गति के कारण लोग अपना पंजीकरण नहीं करा पा रहे हैं ।