स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
मौसम की मार उत्तराखंड के पहाड़ी फलों पर बहुत ज्यादा पड़ी है । नैनीताल जिले के रामगढ़ और मुक्तेश्वर में कोरोना लॉक डाउन और पशु पक्षियों के अलावा नाराज प्रकृति ने सेब, नाशपाती, आडू, पूलम, खुमानी आदि की फासला को 50 प्रतिशत बर्बाद कर दिया है ।
नैनीताल जिले में रामगढ़, मुक्तेश्वर, नाथुवाखान और आसपास की पूरी बैल्ट में रसीले सेब, नाशपाती, आडू, पूलम, खुमानी आदि अच्छी मात्रा में होते हैं । वर्षों से ये फल देश के बड़े महानगरों जैसे दिल्ली, मुंबई, आगरा, जयपुर, हल्द्वानी, देहरादून आदि में बिकने के लिए पहुंचते हैं ।
इस वर्ष मौसम की मार से यहां के किसान परेशान हैं और फलों की स्थिति बेहद नाजुक बनी हुई है । इस वर्ष मार्च, अप्रैल, मई, और जून में बेमौसमी बरसात के साथ समय समय पर ओलावृष्टि ने इन फलों में दाग लगा दिए हैं और इन्हें तोड़कर जमीन में गिरा दिया है ।
बचे खुचे फलों को पशु पक्षियों ने खत्म कर दिया है । फल का महत्व साफ और पूरी तरह से पके होने पर माना जाता है । इन फलों की खेती कर रोजगार पाने वाले छोटे बड़े काश्तकार परेशान हैं ।
पहले कोरोना लॉक डाउन के कारण काश्तकारों के फलों को रेट और मार्केट नहीं मिल सका और अब मौसम की मार ने इनकी कमर तोड़कर रख दी है । इतना ही नहीं तोते और अन्य पक्षी के साथ बंदर व दूसरे पशु भी फल खराब करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं । काश्तकारों का कहना है कि इनकी उपज का 50 प्रतिशत फल भी इन्हें नहीं मिल सकेगा ।