ह्यूमन राइट्स एंड आरटीआई एसोसिएशन के महासचिव भास्कर चुग ने सूबे के मुख्य सचिव को ईमेल करके अधिकारियों द्वारा संपत्ति घोषणा के संबंध में उत्तराखंड सरकार के शासन आदेश का पालन करवाने की मांग की l
मुख्य सचिव को भेजे ज्ञापन में भास्कर चुग ने कहा कि, उपरोक्त शासनादेश को बाध्यकारी रूप से उत्तराखंड के क ख ग घ सभी स्तर के कर्मचारियों व अधिकारियों पर लागू किया गया था, जिसमें स्पष्ट प्रावधान किया गया था कि प्रदेश के सभी अधिकारी व कर्मचारी अपनी चल एवं अचल संपत्ति को क्रय करने से पूर्व अपने नियुक्ति प्राधिकारी से अनुमति लेंगेl
अनुमति प्राप्त करने के बाद क्रय की गई संपत्ति को अपने नियुक्ति प्राधिकारी के समक्ष शासन द्वारा निर्धारित फॉर्मेट में घोषित करेंगे एवं तत्पश्चात उनके द्वारा घोषित की गई चल संपत्ति को राज्य सरकार की वेबसाइट पर प्रकाशित करके पब्लिक डोमेन में लाया जाएगा l
वृहत्तर लो क्षेत्र में जारी इस शासनादेश का अधिसंख्य अधिकारी व कर्मचारी बिल्कुल भी अनुपालन नहीं करके इस की धज्जियां उड़ा रहे हैं जो कि सरकार के लिए बहुत ही शर्मनाक की स्थिति है कि सरकार अपने ही शासन आदेश का पालन करवाने में इतनी अक्षम हो गई है कि राज्य को जो नौकरशाही चलाती है उसी नौकरशाही से अपने शासनादेश का सरकार अनुपालन नहीं करवा पा रही है और बात जीरो टॉलरेंस की करती है l
शासन आदेश में स्पष्ट प्रावधान है कि, जो अधिकारी व कर्मचारी इस शासनादेश का पालन नहीं करेंगे उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी, परंतु आज तक कोई सख्त कार्यवाही किसी अधिकारी अथवा कर्मचारी के विरुद्ध इस प्रकरण में हुई हो ऐसा कोई तथ्य प्रकाश में नहीं आया है l
आपको अवगत कराना है कि, अभी संख्या पीसीएस स्तर के अधिकारी, ग्रामीण विकास विभाग, सिंचाई से संबंधित विभागों, जल विद्युत से संबंधित विभागों सहित प्रदेश के तमाम विभागों में कार्यरत नौकरशाहों में से अधिकतर ने अपनी संपत्ति की घोषणा ही नहीं की है l जबकि यह नौकरशाह अपनी पत्नी, परिजनों, पत्नी के रिश्तेदारों, नौकरों, मित्रों आदि के नाम से करोड़ों की संपत्ति बटोर चुके हैं l
कुछ प्रकरण तो ऐसे हैं कि सहायक अभियंता स्तर के अधिकारी अपनी पत्नी के नाम से संस्था बनाकर लगातार करोड़ों की डीलिंग कर रहे हैं, इन संस्थाओं के नाम पर प्रदेश के पॉश इलाकों में करोड़ों की संपत्ति क्रय की गई है और विक्रय भी की गई है, लीज पर लेने का धंधा भी फल फूल रहा है, और इसी प्रकार पत्नी के नाम पर संस्था बनाकर खनन संबंधी कारोबार स्टोन क्रेशर आदि चलाए जा रहे हैं l ऐसे अधिकारी अपनी पत्नी के नाम क्रय की गई इस संपत्ति की घोषणा तक नहीं करते जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है l
सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है तो सरकार की जीरो टॉलरेंस दिखाई भी देनी चाहिए और ऐसे सभी अधिकारी कर्मचारी जो सरकार के समक्ष अपनी संपत्ति की घोषणा नहीं कर रहे हैं और अपनी पत्नी के नाम से मोटी डीलिंग कर रहे हैं के विरुद्ध सरकार को कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए इसकी मांग आपसे ह्यूमन राइट्स एंड आरटीआई एसोसिएशन करती है l हमारे पास इस आशय के अनेक सबूत मौजूद हैं l
सरकार द्वारा इस प्रकरण में कार्यवाही नहीं किए जाने की दशा में हमें माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड के समक्ष पीआईएल में जाने को मजबूर होना पड़ेगा l