स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड के नैनीताल में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखते हुए प्रतिष्ठित माँ नन्दा और सुनन्दा देवी की प्रतिमा को इको फ्रेंडली(पर्यावरण प्रिय)तरीके से बनाया जा रहा है।
मूर्ति में केले के पेड़, बाँस, रंग, प्राकृतिक रंग, घाँस, रुई और कपड़े समेत अन्य पर्यावरण प्रिय वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है। प्रदेश के मान्यता प्राप्त व् पहाड़ों में प्रतिष्ठित माँ नन्दा देवी की मूर्ति को बनाने में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
मूर्ति को इको फ्रेंडली वस्तुओं से बनाया जा रहा है जिससे इसे प्राण प्रतिष्ठा और भक्तों के दर्शनों के बाद झील में विसर्जित किया जा सके। कदली वृक्ष, बांस, नैचुरल पेंट, घांस, रुई और कपडे से बनाई जाने वाली माँ नंदा सुनन्दा की प्रतिमा को 14 सिंतबर को प्रतिष्ठा के बाद चार बजे सवेरे भ्रह्म मूर्त में भक्तों के दर्शनों के लिए रखा जाएगा।
इस महोत्सव को सन 1925 में लाला मोती लाल साह ने शुरू कराया था। जिसके बाद से इसे राम सेवक सभा संचालित कराते आ रही है। नयना देवी परिसर में होने वाला ये महोत्सव इस वर्ष अपने 119 वें वर्ष में प्रवेश कर गया है। इस वर्ष वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भक्तो के मंदिर में सीमित प्रवेश करा गया है। मंदिर परिसर में लगने वाले भण्डारा भी इस वर्ष नही लगाया जाएगा। लेकिन भक्तो को फेसबुक लाइव और लाइव प्रसार के माध्यम से नन्दा माँ के दर्शन हो पाएंगे। आज देर रात तक मूर्ति के तैयार होने के बाद इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। मूर्ति को नैना देवी मन्दिर में भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाएगा और आगामी 17 सिंतबर को माँ नन्दा सुनंदा को झील में विसर्जित कर दिया जाएगा।