रिपोर्ट- जगदंबा कोठारी
रुद्रप्रयाग।
दिसंबर 2017 में स्थाई राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर बनारस से पहुंचे आंदोलनकारी प्रवीण को आपराधिक बल प्रयोग करने एवं सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के आरोप में 4 साल बाद कोर्ट द्वारा सजा देकर जेल भेज दिया है। चमोली की पुरसाड़ी जेल में बंद प्रवीण ने रविवार से जेल में अनशन शुरू कर दिया है।
दरअसल मामला वर्ष 2017 में गैरसैण स्थाई राजधानी की मांग को लेकर है। इस आंदोलन के दौरान कुछ आंदोलनकारी उग्र हो चुके थे। जिस पर पुलिस द्वारा 39 आंदोलनकारियों पर आपराधिक बल प्रयोग करना एवं सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने सहित 11 धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। जिनमें से 38 आंदोलनकारियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया गया था। कोर्ट द्वारा सभी 38 आंदोलनकारियों की जमानत मिल गई थी। लेकिन बनारस से आए आंदोलनकारी प्रवीण की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी, जबकि सभी 39 आंदोलनकारियों में उनका भी नाम था। पिछले 4 वर्षों में कोर्ट द्वारा उनको पांच सम्मन भेजे गए भेजे गए थे। जिसके बाद आंदोलनकारी प्रवीण ने इसी माह 14 सितंबर को कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। जहां से कोर्ट ने उन्हें पुरसाड़ी जेल भेज दिया। जेल पहुंचे प्रवीण ने कल रविवार को जेलर प्रमोद पांडे को पत्र लिखकर गैरसैण राजधानी आंदोलन को लेकर अनशन की सूचना दी और तब से वह आमरण अनशन पर हैं।
जिसको लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों सहित गैरसैंण राजधानी की मांग करने वाले आंदोलनकारियों में सरकार के प्रति खासा नाराजगी है।
कैसे पहुंचे प्रवीण बनारस से गैरसैंण आंदोलन में
प्रवीण कुमार बनारस के एक प्रख्यात समाजसेवी एवं आंदोलनकारी है। और वह ऋषिकेश स्थित एम्स में किसी मरीज के साथ आए थे। इसी दौरान एम्स ऋषिकेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ बैठे आंदोलनकारियों मैं से उनकी मुलाकात प्रदीप हटवाल से हुई। प्रदीप हटवाल ने उन्हें उत्तराखंड राजधानी गैरसैण की मांग के बारे में अवगत कराया। और वह इस आंदोलन में शामिल हो गए और स्थाई राजधानी गैरसैण की मांग को लेकर 39 आंदोलनकारियों पर मुकदमा की सूची में उनका नाम भी आ गया। लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी।
इन 39 लोगों में हुए मुकदमे मैं से एक आंदोलनकारी एवं समाजसेवी अरविंद हटवाल ने कहा है कि प्रदेश सरकार को प्रवीण पर लगाए गए मुकदमे वापस लेने चाहिए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया है कि भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही सरकारों ने हमेशा राजधानी के नाम पर प्रदेशवासियों को बेवकूफ बनाया है। स्थाई राजधानी गैरसैण को लेकर आंदोलन तब भी जारी था और आज भी जारी है। सरकार तुरंत प्रवीण कुमार का अनशन तुड़वाकर उनको जेल से रिहा करवाएं।