प्रदेश की सरकार और शासन में बैठे नौकरशाह मिलकर उपनल कर्मियों से छलावा कर रहे हैं। उपनल कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी व अन्य मसलों के लिए जिस उपसमिति का गठन हुआ था उसने तो रिपोर्ट दी लेकिन वित्त विभाग ने इस पर अड़ंगा लगा दिया।
इससे उपसमिति के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत और सदस्य सैन्य कल्याण मंत्री गणेश जोशी नाराज हैं और उन्होंने कैबिनेट की बैठक में वित्त विभाग की आपत्ति पर कड़ा एतराज जताया है।
अब ये अड़ंगा नौकरशाहो ने लगाया या नौकरशाहो की आड़ में शासन में बैठे मंत्रियों ने ये अड़ंगा नौकरशाहो से लगवाया । ये एक बड़ा सवाल हैं।
जानिए पूरा मामला :
दरअसल,राज्य के विभिन्न विभागों में नियमित खाली पदों के सापेक्ष कार्यरत उपनल कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी व अन्य मसलों के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल ने कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया था।उपसमिति में मुख्य सचिव, सचिव वित्त और सचिव न्याय भी सदस्य थे।
बैठकों के बाद उपसमिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को दे दी। लेकिन सिफारिशें देने के बाद भी प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में नहीं लाया गया। प्रस्ताव में हो रही देरी पर सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी पहले ही एतराज जता चुके थे और उन्हें दावा किया था कि शुक्रवार की कैबिनेट में प्रस्ताव पर चर्चा होगी।
प्रस्ताव पर चर्चा तो हुई। लेकिन वित्त विभाग की आपत्तियों के चलते प्रस्ताव लटक गया। वित्त विभाग की ओर से यह तर्क दिया गया कि वेतन बढ़ाने से राजकोष पर 128 करोड़ रुपये सालाना वित्तीय बोझ पड़ जाएगा। अस्थाई सेवा वाले दूसरे कर्मचारी भी वेतन बढ़ाने की मांग करेंगे।
इन तमाम तर्कों का कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और गणेश जोशी ने विरोध किया और कड़ा एतराज जताया। सूत्रों के मुताबिक, प्रस्ताव का एक बार फिर से परीक्षण कराने और उसके बाद कैबिनेट की अगली बैठक में लाने का निर्णय हुआ। हालांकि दोनों मंत्री इससे सहमत नहीं थे।