रिपोर्ट – राजकुमार सिंह परिहार
बागेश्वर।
जिला अस्पताल में तैनात सर्जन महिमा सिंह पर निलंबन की कार्यवाही को लेकर जिला चिकित्सालय के चिकित्सक भड़क उठे है।
जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों ने बिना जांच के निलंबन की कार्यवाही को चिकित्सक का उत्पीड़न बताते हुए जिला अस्पताल की ओपीडी बंद कर अपना विरोध जताया।
डॉ के निलंबन पर डॉक्टरों ने कार्यबहिष्कार कर अपनी नाराजगी जताते हुए सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी दी है।
जिले के एकमात्र जिला चिकित्सालय में कार्यरत सर्जन डॉ महिमा सिंह पर बाहर से मेडिकल जाँच कराने की शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी विनीत कुमार ने जिला चिकित्सालय के सीएमएस को सर्जन महिमा सिंह को निलंबन के मौखिक आदेश देने पर जिला चिकित्सालय में कार्यरत चिकित्सक भड़क उठे है।
चिकित्सको ने आपात बैठक कर जिला प्रशासन की चिकित्सक डॉ महिमा सिंह के निलंबन को चिकित्सकों के उत्पीड़न की कार्यवाही बताया है।
उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों में चिकित्सक बेहतर इलाज कर रहे है। इस पर भी उनके खिलाफ निलंबन की कार्यवाही अमल में लाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसे बर्दास्त नही किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मामले की जांच किये बिना चिकित्सक के खिलाफ एकरतफ़ा कार्यवाही किया जाना चिकित्सको का उत्पीड़न करना है। आक्रोशित चिकित्सकों ने आज चिकित्सालय में ओपीडी बंद कर चिकित्सालय के बाहर प्रदर्शन किया।
इस दौरान डॉ गिरिजा शंकर जोशी, डॉ राजीव उपाध्याय, डॉ एल एस बृजवाल, डॉ रीमा उपाध्यय, डॉ गायत्री पांगती, डॉ एजेल पटेल, डॉ पंकज पंत, डॉ सी एस भैसोड़ा, डॉ प्रमोद कुमार, डॉ नसीम ,डॉ तैय्यब, आदि मौजूद थे।
*डॉ महिमा प्रकरण पर डीएम विनीत कुमार ने कहा, एक शिकायत पर सीएमएस को जाँच के लिये कहा गया था, सीएमएस ने संबंधित चिकित्सक को “सो-कॉज-नोटिस” जारी कर जवाब मांगा है। चिकित्सक के जवाब मिलने के बाद सारे तथ्यों पर विचार करने के बाद अंतिम निर्णय लिया जायेगा।*
♦️ जाने क्या है पूरा मामला —
बागेश्वर जिला अस्पताल में पिछले कुछ समय से रह रह कर बाहर से जांच कराने का मामला सामने आते रहता है। परन्तु आज तक कोई कार्यवाही अमल में नही लाई गई है। जिस कारण निजी लैब संचालकों के हौसले इस क़दर बुलन्द हैं की उनका कोई न कोई प्रतिनिधि हर समय मौजूद रहता है परिसर के अंदर।
आज एक बार फिर जिला चिकित्सालय के अंदर घुसकर निजी लैब कर्मी द्वारा मरीज का सैंपल लेने का मामला गर्मा गया है।
सीएमएस ने उस वक्त ड्यूटी पर तैनात महिला चिकित्सक से स्पष्टीकरण मांगा तो जिला चिकित्सालय के सभी चिकित्सक व दूसरा स्टाफ इस कदर नाराज़ हो गया कि कार्यबहिष्कार तक कर डाला।
मरीजों को न देखे जाने के कारण आज पूरा दिन जिला चिकित्सालय में अफरातफरी का माहौल बना रहा। चिकित्सकों का आरोप है कि जिलाधिकारी ने मौखिक तौर पर चिकित्सक को टर्मिनेट करने के लिए कहा है जो कि तानाशाही है।
जिला चिकित्सालय की जनरल सर्जन डा. महिमा की ड्यूटी के दौरान एक निजी लैब के कर्मचारी का जिला चिकित्सालय में मरीज का सैंपल लेते समय का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर चिकित्सक से लिखित में स्पष्टीकरण मांगा गया।
आरोप है कि जिलाधिकारी ने मौखिक रूप से चिकित्सक को टर्मिनेट करने के लिए भी कहा है। आरोप यह भी है कि चिकित्सा अधीक्षक की मौखिक रिपोर्ट पर जिलाधिकारी ने शासन को उक्त महिला चिकित्सक की सेवाएं समाप्त करने की संस्तुति भी कर दी है।
आज सुबह जब चिकित्सक को स्पष्टीकरण नोटिस मिला तो मामला गर्मा गया। चिकित्सकों के साथ अन्य स्टाफ ने भी सीएमएस और जिलाधिकारी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कार्यबहिष्कार कर दिया।
इस बीच चिकित्सालय में पहुंचे मरीजों की अच्छी खासी फजीहत हुई। अब चिकित्सकों का एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से वार्ता के लिए डीएम कार्यालय में गया है। इससे पहले चिकित्सकों ने मीडिया से बात करते हुए डीएम को एक तरफा कार्रावाई और तानाशाही करने का आरोप लगाया।
महिला चिकित्सक डा. महिला सिंह ने मीडिया को बताया कि उस दिन वे ड्यूटी पर थी। एक मरीज़ को देखने के लिए उन्हें सीएमओ का फोन आया था। जब वे मरीज को देखकर लौटी तो किसी लैब का कर्मचारी मरीज का सैंपल लेते हुए वीडियो कैमरे में कैद हुआ। जबकि वह लैब या उसके कर्मचारी को जानती ही नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि इसके बाद मरीज के तीमारदारों ने उन्हें लिखकर भी दिया कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। उन्होंने निजी लैब से कर्मचारी को अपनी मर्जी से बुलाया था, इसके बाद से वे अपनी सफाई देने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय में उनसे मिलने तीन दिन जा चुकी है। लेकिन जिलाधिकारी उनसे मिल ही नहीं रहे हैं।
♦️ दूसरी ओर सोशल मीडिया पर चिकित्सकों की कथित लूट के खिलाफ मुहिम छेड़ कर बैठे लेागों का कहना है कि जिस लैब का वह कर्मचारी था उसके यहां एक ही दिन में डेढ सौ से ज्यादा टेस्ट होते हैं। इस आंकड़े से ही साफ हो जाता है कि सरकारी चिकित्सक लैब के संचालकों के साथ कैसे व्यापार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिलाधिकारी ने बहुत अच्छा कदम उठाया है।
♦️ वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया में वरिष्ठ पत्रकार केशव भट्ट लिखते हैं कि कान के कच्चे लोग, अक्सर अच्छे दोस्त खो देते हैं। वह बताते हैं कि बागेश्वर में जनरल सर्जन डॉक्टर महिमा सिंह को सीएमएस साहब ने तुगलकी फरमान सुना उनकी सेवाएं समाप्त करने के लिए महानिदेशक को गुजारिश की है।
इस मामले में सीएमएस साहब का कहना है कि ‘हिंदुस्तान’ अखबार के रिपोर्टर गोविंद मेहता ने शिकायत की थी कि डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट लैब से जांचे करवाई जा रही हैं। इस शिकायत का स्वत: संज्ञान लेते हुए डीएम साहब ने दूरभाष पर उन्हें, हटाओ… हटाओ.. कहा बल्..!
ये मामला 28 सितंबर का है और इस बीच दो बार महिला डॉक्टर, डीएम साहब के दरबार में अपना पक्ष भी रखने गई लेकिन साहब उनसे मिले ही नहीं।
आज गांधी जयंती से एक दिन पहले सीएमएस साहब ने न तो कोई जांच बोर्ड गठित किया और न ही महिला डॉक्टर से उनका पक्ष जाना, सीधे निलंबन के दरख्वास्त उप्पर के हाई कमान से कर दी. इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो वो साफ—साफ कुछ भी नहीं कह पाए।
बहरहाल्! इमरजेंसी की सेवाओं को छोड़ सारे डॉक्टरों ने अपनी ओपीडी बंद कर दी। मरीज और उनके तिमारदार परेशान हैं।
खुद डॉक्टर भी मरीजों की दशा देख परेशान हैं और अपनी परेशानी बता मजबूरन उन्हें इमरजेंसी में जाने की सलाह दे रहे हैं।
इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि तीन दिन बाद बिना कोई जांच किए इस तरह की एकतरफा कार्यवाही की गई। जबकि मरीज के तिमारदार कह रहे हैं कि उन्होंने बाहर से जांच खुद ही कराई क्योंकि उन्हें जल्दी थी और अस्पताल की लैब तब तक बंद हो चुकी थी।
जिला अस्पताल के बगल में ही विधायकजी का भी निवास है, और उन्हें इस मामले की जानकारी न हो ये हो नहीं सकता। बावजूद इसके उनकी चुप्पी समझ से परे है। पहाड़ों में डॉक्टर कहें या अन्य सरकारी कर्मचारी/अधिकारी, नौकरी करना पसंद ही नहीं करते हैं। पहाड़ की पीड़ा को समझ कुछेक जन तनमन से अपनी ड्यूटी बखूबी निभाते आ रहे हैं। लेकिन इस तरह के प्रकरण से उनका भी मनोबल टूटने लगा है और हमारे प्रधानमंत्रीजी जल्द ही हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की कवायद में जुटे पड़े हैं।