स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड के नैनीताल में बीते दिनों आपदा के दौरान बने वीडियो में नैनीझील के गेट बंद पाए गए, जिसके कारण चारों तरफ बाढ़ के हालात बन गए और तल्लीताल में मॉल रोड और मल्लीताल में नयना देवी मंदिर जलमग्न हो गया । बाढ़ से हुए नुकसान से नाराज व्यवसायी अब बन्द गेट का सच बताती जांच की मांग कर रहे हैं । जिम्मेदार अधिकारी पानी की आमद अत्यधिक और निकासी सीमित बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं ।
देखें वीडियो :
नैनीताल में मॉल रोड और माँ नयना देवी मंदिर में बाढ़ का मंजर तो आपने देखा ही होगा । बीती 17 अक्टूबर से शुरू हुई बरसात के कारण 18 की सुबह आठ बजे तक 90 मिलीमीटर(एम.एम.)बरसात नापी गई थी । इसके बाद लगातार हो रही बरसात से 18 की सुबह 8 बजे से 19 अक्टूबर की सुबह 8 बजे तक 24 घंटों में रिकॉर्डतोड़ 445 एम.एम.बरसात हो गई । उन्नीस अक्टूबर की दोपहर को बरसात हल्की हुई तो एक वीडियो बना जिसमें साफ दिखाई दे रहा है कि झील से निकासी वाले दोनों गेट बंद हैं । इसमें दिख रहा है कि कंट्रोल रूम में भी पानी भर गया है और ऑफिस से सभी कर्मचारी नदारद हैं । यहां देखने में पाया गया कि मशीन ऑटोमोड से हटाकर मैन्युअल कर दी गई है, जिसके कारण गेट बंद रह गए । पानी दोनों स्काडा गेटों के ऊपर से होकर जा रहा है और जहां देखो पानी ही पानी है । हम आपको एक पुराना वीडियो और दिखाते हैं जिसमें ऑटोमेटिक स्काडा गेट खुलते नजर आ रहे हैं । यहाँ से पानी की आसानी से निकासी हो रही है ।
नैनीताल में बाढ़ का दूसरा बड़ा कारण ये हो सकता है कि ब्रिटिश काल मे यहां 5 से अधिक निकासी गेट थे, जबकी नया स्काडा गेट बनने के बाद ये दो रह गए हैं । तीसरा कारण ये भी माना जा रहा है कि झील में काफी बड़ी मात्रा में सिल्ट(मलुवा)भर गया है, जिससे यहां पानी थमने की श्रमता बहुत कम रह गई है । बीते लगभग 8 वर्षों से झील से मलुवा निकालने का काम नहीं हुआ है । एक कारण नैनीताल के चारों तरफ बनी 79 किलोमीटर की रोड का सी.सी.होना भी है। पहले इन कच्ची सड़कों में पानी रीस(परक्यूलेट)जाता था और फ़्लैश फ्लड से पानी झेल में नहीं जाता था । अब सीधे झील में बड़ी मात्रा में पहुंच जाता है जिससे ये हालात पैदा होते हैं ।
पर्यटन व्यवसाय से जुड़े प्रवीण शर्मा ने सभी चैनलों और अखबारों में नैनीताल की वीडियो समेत खबर चंलने के बाद पर्यटकों की बुकिंग कैंसिल होने से नाराज होकर मामले की जांच की मांग की है । होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश साह ने कहा कि ब्रिटिश काल मे 7 गेट हुआ करते थे और अब इन्हें कम करके दो में सीमित कर दिया गया है, वो भी बंद थे । इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए ।
संबंधित अधिकारी से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बरसात अत्यधिक हो गई जिसके कारण झील में श्रमता से अधिक पानी आ गया और यहां से निकासी हल्के हल्के हो पाई । अब स्थिति नियंत्रण में है ।