स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड के नैनीताल की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले बलिया नाला क्षेत्र में भूस्खलन की डरावनी तस्वीरें सामने आई हैं । यहां लगातार हो रहे भूस्खलन ने लोगों की रातों की नींदें उड़ा दी हैं।
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नैनीताल शहर के दक्षिणी छोर पर तल्लीताल क्षेत्र में बसे रईस होटल कम्पाउंड का एक बड़ा हिस्सा वर्षों से भूस्खलन प्रभावित रहा है । इस क्षेत्र में वर्ष 1898 से भूस्खलन शुरू हुआ जब 27 हिंदुस्तानी और एक अंग्रेज की मौत हुई थी ।
ये भूस्खलन आज भी सक्रीय है । इसके बचाव के लिए केंद्रीय मंत्री रहते हुए पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी ने एक भारी भरकम बजट जारी किया था । इसके बाद इसे बचाने के लिए तलहटी में बुनियाद से ही पत्थरों की दीवार बनाकर संभालने की कोशिश की गई । कुछ वर्ष बाद ही ये काम भूस्खलन की भेंट चढ़ गया और देखते ही देखते इसने खतरनाक रूप ले लिया ।
इसके ट्रीटमेंट के लिए देश के अग्रणी इंजीनियर नए नए प्रोजेक्ट लेकर आए लेकिन ये सब कागजों तक ही सीमित रह गया । अभी कुछ समय पहले ही इसका ड्रोन से सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार की गई है ।
नैनीताल की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले बलिया नाले का तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी दौरा कर जानकारियां ली थी ।
अगस्त 2018 में ज्यादा भूस्खलन होने के बाद यहां बसे लोगों को विस्थापित किया गया । इसको लेकर काफी असमंजस की स्थितियां बनी जिसके बाद मामला उच्च न्यायालय भी पहुंचा । फिलहाल विस्थापन पर तो रोक लगी है लेकिन संवेदनशील बलिया नाले पर जरूरी कार्य कहीं दिख नहीं रहा है ।
उच्च न्यायालय के आदेशों पर निदेशक एफ.आर.आई, निदेशक वाडिया इंस्टिट्यूट, आई.आई.टी.रुड़की के वैज्ञानिक, लोक निर्माण विभाग और सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर समेत एफ.आर.आई.के रजिस्ट्रार को समिति सचिव बनाय गया । क्षेत्रवासी कहते हैं कि अधिकारी आते हैं लेकिन खतरे के बावजूद अभी तक यहां कुछ काम नहीं हुआ है ।
हालांकि इसकी देखरेख करने वाले सिंचाई विभाग के अधिकारी ट्रीटमेंट के लिए शार्ट टर्म और लांग टर्म इलाज देखते हैं। उनका कहना है कि बजट और शासन के निर्देशानुसार इसकी रोकथाम के लिए कार्य किये जाएंगे । उन्होंने ये भी कहा कि अगर पानी की निकासी और सीपेज को रोक लिया जाए तो काफी हद तक भूकटाव पर रोक लग सकती है ।