विज्ञान और तकनीकी के युग में हर चीज हाईटेक हुई है परंतु अभी भी प्रदेश की ग्रामीण पटवारी चौकियों का हाल आज भी जस का तस ही है।
कुल मिलाकर राजस्व उप निरीक्षक के वर्तमान हालात देखकर ब्रिटिश कालीन पटवारी व्यवस्था की याद तरोताजा हो जाती है।
पुलिस और राजस्व पुलिस की तुलना करें तो सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत राजस्व उप निरीक्षकों को सीमित संसाधनों में कार्य करना बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है।
सुदूर क्षेत्रों में कार्यरत राजस्व उप निरीक्षकों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं और ना ही ऐसी हाईटेक व्यवस्था है कि वे क्षेत्र में समुचित रूप से कार्य कर सकें।
वर्तमान पुलिस की तुलना में राजस्व उपनिरीक्षकों के पास पूर्ण रुपेण संसाधनों की कमी है। सही संदर्भ में बात की जाए तो ब्रिटिश कालीन पुलिस व्यवस्था में काफी परिवर्तन आया है एवं पुलिस हाईटेक हुई है परंतु दूरस्थ क्षेत्रों में कार्य कर रहे राजस्व उप निरीक्षको की स्थिति अभी भी जस की तस है।
आपको बता दें कि प्रदेश में राजस्व उपनिरीक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतनमान सहित समान संसाधन उपलब्ध कराने की मांग करते हुए कर्मचारियों ने आवाज बुलंद कर चुके हैं परंतु अभी तक इन कर्मचारियों की फरियाद सरकार ने नहीं सुनी है।
लंबे समय से भू अभिलेख सम्बन्धी कार्यों के साथ ही राजस्व क्षेत्रो में राजस्व निरीक्षक बगैर संसाधनों के ही पुलिस कार्यों को भी बखूबी निभा रहे हैं।
राजस्व उपनिरीक्षको के मुताबिक उनके पास नाही अपराधों से निपटने के लिए संसाधन है और ना ही अपराधिक घटनाओं की तफ्तीश के लिए वाहन से लेकर शस्त्र और संचार सुविधाओं सहित सिपाहियों की व्यवस्था है।
शहरी क्षेत्रों में पुलिस व्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व पटवारी पुलिस व्यवस्था योगदान है परंतु राजस्व व्यवस्था के अंतर्गत कार्य कर रहे पटवारी अभी तक ब्रिटिश कालीन अधिकारों तक सीमित रह गए हैं।
आपको बता दें ग्रामीण क्षेत्र में कार्य कर रहे पटवारियों राजस्व निरीक्षकों को सरकारी तंत्र की उपेक्षा का दर्द झेलना पड़ रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में यदि किसी महिला के साथ कोई अप्रिय घटना घट जाए तो संबंधित क्षेत्र में महिला पुलिस की व्यवस्था करने में काफी समय नष्ट हो जाता है जिससे विभागीय जांच समुचित रूप से नहीं हो पाती है।
अपनी मांगों को बार-बार शासन के समक्ष रखने के बावजूद अभी तक राजस्व निरीक्षकों की समस्याओं पर सरकार ने कोई भी ध्यान नहीं दिया है। यदि इसी प्रकार राजस्व उपनिरीक्षक बदहाली की मार झेलते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब अन्य कर्मचारियों की भांति राजस्व कर्मचारी पहाड़ चढ़ने से कतराएगा।