स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड में नैनीताल के अधौड़ा गांव में रहने वाले लोगों को खेतों में पानी नहीं मिलने से खेती खराब होने की चिंता सताने लगी है । अक्टूबर की आपदा में टूटी नहर में अभी तक कोई काम शुरू नहीं हुआ है और ग्रामीणों के मटर बोने का समय निकल रहा है ।
नैनीताल मंडल मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर पड़ने वाले अधौड़ा गांव के लोग इनदिनों बेहद परेशान हैं । इन लोगों की परेशानी का मुख्य कारण मटर की फसल बोने में आ रही पानी की कमी है । खेतों को तर करने वाली नहर बीते दिनों की आपदा में जगह जगह टूट गई । पेयजल लाइन पीने का पानी लाने में ही नाकाफी है जिससे खेतों को पानी नहीं दिया जा सकता । ग्रामीणों का आरोप है कि ऊपर से दूसरे गांव को जाने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना(पी.एम.जी.एस.वाय.)के अंतर्गत निर्माणाधीन सड़क के मलुवे से नहर टूट गई, जिसे बनाना विभाग का काम है ।
नैनीताल के चीनापीक से निकला पानी, चिनार नदी बनकर गांव से कुछ दूरी पर बहता है । इस नदी से तीन किलोमीटर का जंगली और पहाड़ी रास्ता पार करते हुए ये नहर अधौड़ा गांव के खेतों की फसलों को लहलहाती है । अधौड़ा गांव के दर्जनों किसान इस पानी से उगाई फसल से अपनी आमदनी करते हैं । ग्रामीणों का आरोप है कि आपदा में नहर 6 जगह टूट गई जिसके कारण गांव को खेती का पानी मिलना बंद हो गया, ऐसे में वो अभी मटर की फसल नहीं बो पाएंगे । इससे केवल खेती पर निर्भर गांव के लोग अपनी फसल को लेकर शंका में हैं । गांव के पूर्व प्रधान बुजुर्ग दीवान सिंह मेहरा का कहना है कि आपदा के बाद से टूटी नहर में अगर समय से पानी नहीं आता है तो मटर बोने का समय निकल जाएगा और फसल नहीं हो सकेगी । नैनीताल, कालाढूंगी और हल्द्वानी की मंडियों में पहली पसंद बनी इस गांव की सब्जी से बड़ी आबादी महरूम रह जाएगी । टमाटर, लहसुन, हरी मिर्च, गडेरी, पिनालु, कद्दू, ककड़ी, हरा धनिया, आलू, प्याज आदि के लिए मशहूर गांव के लोग एक एक फसल से 50 हजार से अधिक रुपये की कमाई कर लेते हैं । लेकिन इस बार प्राकृतिक आपदा और मानव गलती से टूटी नहर से बड़ा नुकसान होने की आशंका है । अब ग्रामीण जल्द से जल्द नहर निर्माण की मांग कर रहे हैं ।