रिपोर्ट- राजकुमार सिंह परिहार
जब से नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू हुआ है उस दिन से कोई न कोई वीडियो या तस्वीर सोशल मीडिया पर जरूर वायरल हो जाती है। कभी गाड़ी की कीमत से ज्यादा रकम का चालान काटे जाने का मामला सामने आता है तो कभी इतनी ज्यादा रकम का चालान पुलिस वाले काट देते हैं कि रिकॉर्ड ही बन जाता है। इस नये कानून से जितना आमलोगों को परेशानी हो रही है, उतना ही ज्यादा इसको लेकर लोग मजे भी ले रहे हैं।
अब इसी कड़ी में हम बात करें कि बागेश्वर पुलिस कैसे अछूती रह सकती है भला। पिछले कुछ समय से लगातार देखने व सुनने में आने लगा था की साहब बहुत मोटा चालान करने लगे हैं। कुछ का कहना था सत्ता का संरक्षण है लो आज सोशल मीडिया ने वो राज भी खोल कर आपके सम्मुख दे दिया। दिनभर चर्चाओं के बाज़ार को गर्म करता यह पत्र जिसमें विपक्ष व जनता सोशल मीडिया पर सवाल पर सवाल उठाते नजर आ रहे हैं।
कल देर शाम से ही मुख्यमंत्री के जनसंपर्क अधिकारी नंदन सिंह बिष्ट का पुलिस अधीक्षक को आया पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। पत्र में तीन वाहनों के चालान निरस्त करने का आदेश है। मुख्यमंत्री के मौखिक निर्देश होना पत्र में बताया गया है। विपक्ष ने मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जैसा कि दिखाई पड़ रहा है, आठ दिसंबर के इस पत्र में लिखा गया है कि मुख्यमंत्री के मौखिक निर्देशानुसार 29 नवंबर को बागेश्वर यातायात पुलिस ने वाहन संख्या यूके02सीए, 0238, यूके02सीए, 1238 और यूके04सीए 5907 के चालन निरस्त करने का कष्ट करें। इसकी प्रतिलिपि संभागीय परिवहन अधिकारी बागेश्वर को भी सूचनार्थ भेजी गई है। इंटरनेट मीडिया पर पत्र वायरल होने पर विपक्ष ने कड़ी प्रतिक्रिया शुरू कर दी है। पूर्व विधायक कपकोट ललित फर्स्वाण ने कहा कि मुख्यमंत्री पुलिस के कार्यों में भी हस्तक्षेप करने लगे हैं। उन्होंने प्रकरण की पूरी जांच करने की मांग की है।
हमारे सहयोगी राजकुमार सिंह परिहार ने जब वायरल पत्र की सत्यता जांचने के लिए वाहन स्वामी से बातचीत की। वाहन स्वामी मनोज साह ने कहा कि दो ट्रक उनके और एक उनके भाई हरीश साह के नाम था। वह खड़िया भर कर हल्द्वानी जा रहे थे। यातायात पुलिस ने ओवर लोड में तीनों के चालान काट दिए। उन्होंने लगभग तीनों ट्रकों के चालान 45 हजार रुपये जमा भी कर दिए हैं। तब मुख्यमंत्री को आए दिन पुलिस के इस मनमाने रवैये से परेशान होकर अपनी इस पीढ़ा को लेकर पत्र लिखा था। उन्होंने यह भी बताया कि उनके ट्रक सरकारी राशन का ढुलान करते हैं। दो वर्ष से ढुलान का पैसा लगभग बीस लाख रुपये अभी नहीं मिला है। डेढ़ वर्ष पूर्व उनके पिता का देहांत हो गया था। अभी तक जिला पूर्ति विभाग ने यह धनराशि नहीं दी है। चालान करने वाले टीआइ को भी आपबीती बताई थी। लेकिन वह नहीं माने और उनके तीनों ट्रकों का चालान एक साथ कर दिया गया। पहले भी चालान होते रहे है पर इस महामारी के बाद इतने मोटी रक़म वाले चालान भुगतना आसान नही है मोटर मालिकों के लिये।
वहीं एसपी बागेश्वर अमित श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें भी इस बारे में जानकारी मिली है, पर किसी प्रकार का कोई भी पत्र प्राप्त नही हुआ है। बताते हैं कि यातायात पुलिस की रूटीन प्रक्रिया के तहत उस दिन इन तीन गाड़ियों के अलावा भी चालन किए गए थे। तीन दिसंबर को एआरटीओ को सभी चालान भेज दिए गए थे। आवेर लोड में यह चालान किए गए थे। लेकिन एक्ट में ऐसा प्राविधान नहीं है कि चालान की रकम माफ कर दी जाए। इसलिए इसे माफ़ करना हमारे नियम के अन्तर्गत नही है।
“वर्तमान समय में मोटर मालिक भाजपा के सक्रिय सदस्य हैं और इस समय प्रदेश में सरकार भाजपा की, तो फर्क तो पड़ता है साहब”
वहीं राजनीतिक गलियारों की खबर तो ये भी है कि तीनो ट्रकों का चालान करने वाले उस टीआई को भाजपा नेता के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा। चालान माफ तो नही हो पाया मगर उन महाशय का स्थानांतरण जरुर हो गया। सूत्रों की माने तो पत्र के वायरल होने के बाद चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि नियमों को ताक पर रखकर खड़िया की ढुलाई कर रहे लोग इस तरह के प्रयास करके पुलिस पर अपना सिक्का चलाना चाहते हैं। कुछ लोगों को पत्र की सत्यता पर ही संदेह है तो कुछ लोगों का कहना है कि सीएम ऐसे निर्देश देकर पुलिस के हौसले तो तोड़ ही रहे हैं, जो सरकारी खजाने पर ही चोट कर रहे हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस पर मुख्यमंत्री या बागेश्वर पुलिस विभाग क्या कोई कार्यवाही अमल में लाता है या इसे भी ठण्डे बस्ते के हवाले कर दिया जायेगा। आंखिर यह पत्र आया कहाँ से और इसे सोशल मीडिया में वायरल किया किसने। यह अपने आप में जांच का विषय तो है जो पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े करता है।