स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने नेशनल हॉकर फेडरेशन आफ इंडिया द्वारा बिना सर्वे किए स्ट्रीट वेंडरों को हटाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार और नगर पालिका नैनीताल से 6 फरवरी 2022 तक जवाब पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश सजंय कुमार मिश्रा व् न्यायमुर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ ने की और अगली सुनवाई 6 फरवरी को तय हुई है।
आज सुनवाई के दौरान सरकार व् नगर पालिका नैनीताल की तरफ से न्यायालय को अवगत कराया गया ।कहा गया कि नैनीताल में उन्होंने स्ट्रीट वेंडरों को उच्च न्यायालय के आदेश पर चिन्हित कर लिया है। उनको नगर पालिका द्वारा लाइसेंस और जगह भी दी गई है। उसके बाद भी बिना लाइसेंस के वेंडर, वेंडर जोन में बैठ जाते है।
मामले के अनुसार नेशनल हॉकर फैडरेशन द्वारा जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि उत्तराखण्ड में लगभग 10,187 स्ट्रीट बेंडर है। सरकार ने स्ट्रीट वेंडर एक्ट 2014 का पालन अभी तक नही किया है। जिसमे कहा गया है कि स्ट्रीट वेंडरों के लिए एक निर्धारत जगह होगी। उसे सम्बन्धित कॉर्पोरेशन द्वारा लाइसेंस दिया जाएगा। उनको हटाने से पूर्व समाचार पत्रों में विज्ञप्ति जारी करनी होगी। जिस जगह पर स्ट्रीट वेंडरों के लिए जगह निर्धारित होगी वहाँ पर ये लोग अपने पास लाइसेंस , आधार और राशन कार्ड रखेंगे। जिससे इनकी आसानी से पहचान हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में एक निर्णय देकर कहा था कि सभी राज्य अपने वहाँ सभी स्ट्रीट वेंडरों का चार माह के भीतर सर्वे कर एक स्ट्रीट टाउन वेंडर कमेटी का गठन करें। जिसमे सम्बन्धित कॉर्पोरेशन,पुलिस, प्रसासन, व्यापार मंडल, जानकार लोग होंगे। लेकिन अभी तक न तो उत्तराखण्ड में इनका सर्वे हुआ न वेन्डिंग जोन घोषित हुआ न ही कमेटी का गठन हुआ। जिसका नतीजा आये दिन इन लोगो का सामना जब्त किया जाता आ रहा है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि सामान जब्त करने व उसे तोड़ने का अधिकार किसी को नही है। जबकि जब्त खाने का सामना एक दिन में और अन्य सामान तीन दिन के भीतर वापस करने का भी प्रावधान है। सामान उसी दिन वापस कराया जाय या फिर उनको इसका मुआवजा दिया जाय।