स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ सेवा संबंधी जनहित याचिका में जवाब देते हुए आज राज्य सरकार ने 5000 पन्नो का जवाब दाखिल किया है ।
उच्च न्यायालय को दिए जवाब में सरकार ने हर जिले में कराये गए सर्वे का पूरा ब्यौरा विस्तार से दिया है।
टिहरी निवासी शांति प्रसाद भट्ट की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार ने सभी जिलों में सर्वे कराकर लगभग 5000 पन्नों के दस्तावेज न्यायालय में जमा किये ।
गौरतलब है की याचिकाकर्ता ने वर्ष 2013 में जनहित याचिका दाखिल कर टिहरी जिले में बदहाल स्वास्थ सेवा की बात कही थी । जिसका सितम्बर 2020 में उच्च न्यायालय ने दायरा बड़ा दिया था।
सरकार और याचिकाकर्ता को कहा गया था की वह एक सर्वे फॉर्म तैयार करे जिसको हर प्राथमिक स्वास्थय केंद्र, सामुदायिक स्वास्थय केंद्र और जिला अस्पताल में भेजा जाए, ताकि हर स्वास्थय केंद्र की वास्तविक स्तिथि न्यायालय के समक्ष आ सके।
लगभग डेड वर्ष बाद सरकार ने लगभग 5000 पन्नो के दस्तावेज जमा किए हैं । इसमें सबसे ज्यादा पौड़ी जिले के 1000 से ज्यादा पन्नो में खामियां समझाई गई हैं ।
सर्वे में प्रत्येक स्वास्थय केंद्र से पूछा गया था की क्या वंहा एंटी रेबिस और एंटी वैनम इंजेक्शन है ? क्या वंहा सफाई की उचित व्यवस्था है ? रेगुलर नियमित स्टाफ है के अलावा ऑक्सीजन या प्रसव कराया जा सकता है ?
मामले की गंभीरता और विस्तृत आख्या को देखते हुए उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी को अगस्त के अंतिम सप्ताह तक पूरी रिपोर्ट अध्ययन कर न्यायालय में जवाब दाखिल करने को कहा है।