सत्र समाप्त ….!
न जाने क्यों लेकिन इस बार के विधानसभा सत्र से पहले विपक्ष के तेवर उर्फ सड़क पर जुलूस प्रदर्शन की नाटक नौटंकी देख कर यह उम्मीद थी कि विपक्ष की तरफ से इस बार का विधानसभा सत्र सत्ता पक्ष के लिए अब तक का सबसे कठिन सत्र होगा लेकिन 5 दिन के लिए बुलाया गया सत्र शांति से 2 दिनों में निपट गया और विपक्ष भी उसी तरह शांति से ही निपट गया।
आवाम को इस विधानसभा सत्र को बारीकी से देखना और समझना चाहिए और मनन करना चाहिए कि अंकिता भण्डारी हत्याकांड, UKSSSC भर्ती घोटाला, विधानसभा की अवैध नियुक्तियां जैसे मुद्दों पर क्या यह नही माना जाना चाहिए कि सत्ता पक्ष और विपक्ष एक ही भूमिका में है…? वरना क्या मजाल कि बतौर विपक्ष दो दिन का सत्र इतनी शांति से निपट जाये….?
प्रदेश के युवाओं को इन सारे घपले घोटालों में विपक्ष की भूमिका इस विधानसभा सत्र के हवाले से भली भांति महसूस की जाने की जरूरत है और अंदाजा पुख्ता कर लेने की जरूरत है कि UKSSSC भर्ती घोटाले के मसले पर विपक्ष सिर्फ दिखाने भर को बोला वरना इस घपले पर CBI जाँच जैसीकोई कार्यवाही हो विपक्ष कत्तई नहीं चाहता क्योंकि वर्ष 2016 जब से आयोग बना है तब से मामले उखड़ने शुरू होंगे …, मजबूरी में ही सही पर सूबे के विपक्ष की भांति ही यकीन कर लीजिए कि UKSSSC भर्ती घोटाले के मास्टरमाइंड कोई मूसे बिराले ही थे इसमें किसी सफेदपोश नेता की कोई भूमिका नहीं वरना मजाल क्या कि विपक्ष सरकार से UKSSSC भर्ती घोटाले की CBI जाँच की मांग कर सदन के अंदर सरकार को मजबूर न करता …?
अंकिता हत्याकांड को लेकर सड़क के जुलूस, अखबारी बयान और न्यूज चैनलों की बहसों में वी आई पी कौन..? वी आई पी कौन ..? कहता हुआ आक्रामक दिखता हुआ विपक्ष इस मुद्दे पर सदन के अंदर कितना शांत सौम्य शालीन था इसी बात से अंदाजा लगा किया जाना चाहिए कि इस सूबे के सवालों को लेकर विपक्ष कितना गम्भीर है। यकीन मानिए कि अंकिता भण्डारी हत्याकांड में बुल्डोजर से लेकर आज तक की कार्यवाही पर विपक्ष कमोबेश सत्ता पक्ष के साथ ही खड़ा है और जो ये सदन के बाहर विपक्ष हो हल्ला मचाता हुआ पाया जाता है वह महज किसी नाटक से जियादा कुछ भी नहीं…!
सबसे आश्चर्यजनक तो 2016 के बाद हुई विधानसभा की अवैध नियुक्तियों का मामला और विपक्ष का सदन के अंदर इस मुद्दे पर लगभग खामोशी इख्तियार कर लेने को लेकर है, विधानसभा सत्र शुरू होने से पहले चर्चा थी कि वर्तमान संसदीय कार्यमंत्री जो कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे और जिनके कार्यकाल में भी अवैध नियुक्तियां होना पाया गया उनको विपक्ष अच्छा खासा असहज करेगा , यकीन था कि विपक्ष सरकार से सवाल पूछेगा कि 2016 से पूर्व की नियुक्तियों की जाँच कब आएगी और कार्यवाही कब तक होगी…? यकीन था कि विपक्ष सरकार से विधानसभा की अवैध भर्ती के दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात सदन के अंदर पुरजोर तरीके से रखेगा ,लेकिन विपक्ष द्वारा इस मुद्दे पर सन्नाटे के मजमून को यूँ समझ लीजिये कि फिलहाल के नेता प्रतिपक्ष भी पूर्व में विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं ।
कुल मिला कर कल समाप्त हुए विधानसभा सत्र की निष्पत्तियों को UKSSSC भर्ती घोटाले, अंकिता भण्डारी हत्याकांड और विधानसभा अवैध नियुक्तियों की दृष्टि से विपक्ष की भूमिका को यूं समझिये-
- UKSSSC भर्ती घोटाले में प्रदेश का युवा अपने हक के लिए लाख गला फाड़ कर चिल्लाता रहे विपक्ष सड़क पर तो उसके पक्ष में होगा लेकिन सदन के अंदर लगभग शांत होगा और इस शांति का सबसे बड़ा कारण वर्ष 2016 के आस पास हुई समूह ग की भर्तियां भी हो सकती हैं, प्रदेश के युवाओं को याद रहना चाहिए कि एक पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान तक विपक्ष के ही नेता नें UKSSSC के पूर्व अध्यक्ष के इस्तीफे पर अपने क्या विचार रखे थे।
- अंकिता भण्डारी हत्याकांड में विपक्ष सत्ता पक्ष की कार्यवाही से लगभग संतुष्ट है और यदि कभी इस मुद्दे पर विपक्ष बात करता हुआ पाया भी जाये तो उसे विपक्ष द्वारा महज राजनैतिक लाभ लेने का प्रपंच ही माना जाये, सदन में विपक्ष के तेवर देख कर अंदाजा नहीं बल्कि लगभग यकीन हो जाना चाहये कि विपक्ष को इस मुद्दे से कोई लेना देना नहीं, लेकिन सत्ता और विपक्ष दोनों फिलहाल यह मुद्दा जिंदा रखना चाहेंगे क्योंकि इस मुद्दे से दोनों को लाभ है।
- विधानसभा की अवैध भर्तियों पर विपक्ष की भूमिका को सदन के अंदर देख सुन कर भी यदि आवाम को गलतफहमी हो कि 2016 से पूर्व की भर्तियों पर भी कुछ हो सकेगा तो इस गलतफहमी को समय रहते जितनी जल्दी हो दिमाग से निकाल दें और सोचें कि 2016 से पूर्व के कालखंड के एक माननीय विधानसभा अध्यक्ष वर्तमान में विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष हैं ।
इस विधानसभा सत्र के बाद विपक्ष को इस बात की बधाई तो दे ही दी जानी चाहिए कि उन्होंने नागरिक सुरक्षा की आड़ में अपने नेताओं की सुरक्षा के प्रति गंभीरता दिखाई और सदन में बात रखी बस इतने भर के लिए आप हुजूर लोग विपक्ष में हो इस बात को जताने बताने के लिए भी विपक्ष का धन्यवाद किया जाना चाहिए। और अंत में विधायक निधि के लिए भी विपक्ष को बधाई व शुभकामनाएं।
एक शेर अर्ज है कि–
हम मिल कर तुमको जरूर लिखेंगे खत कोई
उसमें बस इतना लिखेंगे “लानत है लानत है..”