देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने विधानसभा अध्यक्ष के उस बयान की कड़ी निंदा करते हुए आड़े हाथों लिया है,जिसमें उन्होंने विधिक राय हेतु मुख्यमंत्री को पत्र लिखे जाने की बात कही है।
दसोनी ने कहा कि कोटिया कमेटी विधानसभा अध्यक्ष ने गठित की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राज्य गठन से लेकर आज तक जितनी भी नियुक्तियां विधानसभा में हुई है वह सब अवैध है ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष ने पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाते हुए सिर्फ और सिर्फ 2016 और 2021 में विधानसभा में लगे हुए कर्मचारियों पर गाज गिराते हुए उन्हें विधानसभा से निकाल बाहर किया।
दसौनी ने कहा की पिछले कई महीनों से लगातार वह 2016 से पहले नियुक्त हुए लोगों की नियुक्ति को लेकर विधिक राय लेने की बात करती रही परंतु अब जिस तरह से उनका बयान आया है कि उन्होंने विधिक राय लेने के लिए सरकार को पत्र लिखा है ये हतप्रभ करने वाला है।
दसोनी ने कहा कि पिछले दिनों जब स्वयं उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर विधानसभा कर्मियों की पीड़ा मुख्यमंत्री जी के सामने रखी तो मुख्यमंत्री जी ने विधानसभा से संबंधित सभी अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास होने की बात कही थी।
ऐसे में दसौनी का कहना है की जब विधान सभा अध्यक्ष सर्वे सर्वा खुद ही बनी है तो ऐसे में मुख्यमंत्री और सरकार को पूरे प्रकरण में घसीट कर वह सिर्फ और सिर्फ जनता विपक्ष मीडिया और विधानसभा कर्मियों की आंखों में धूल झोंकने का काम कर रही हैं। दसौनी ने कहा की विधानसभा अध्यक्ष द्वारा 2016 और 2021 के कर्मचारियों को सिग्रेगेशन में निकाला जाना बिल्कुल भी न्याय संगत नहीं था।
विधानसभा अध्यक्ष पहले दिन से पूर्वाग्रह के चलते कार्य कर रही हैं और अब विधिक राय हेतु सरकार को बैसाखी बनाने वाली बात तो बहुत ही हास्यास्पद है, क्योंकि विधानसभा बैक डोर नियुक्तियों को लेकर रायता तो पहले विधानसभा अध्यक्ष ने ही फैलाया अब साफ करने के लिए दूसरों को शामिल करने की कोशिश कर रही हैं, क्योंकि विधानसभा बैक डोर नियुक्तियों में उनकी जमकर फजीहत की है और उनकी छवि को जोरदार झटका लगा है।