रिपोर्ट/जगदम्बा कोठारी
हल्द्वानी। बाल संप्रेषण गृह की एक किशोरी के बयान से हल्द्वानी का राजनीतिक तापमान में एक बार फिर बढ़ गया है। अब अगर निष्पक्ष जांच हो तो इस मामले में वीआईपी के शामिल होने का खुलासा हो सकता है।
नाबालिग पीड़िता की ओर से तहरीर में बताया गया है कि बाल संप्रेषण गृह से उसे अस्पताल ले जाया जाता था। इसके बाद दोनों कर्मचारी उसे कुछ दूरी पर एक घर में ले जाते थे, जहां पर एक लाल बत्ती वाली गाड़ी खड़ी रहती थी। बालिका के अनुसार उसे घर में जूस पीने को दिया जाता था। इसे पीने के बाद वह बेहोश हो जाती थी। होश में आने के बाद उसे अपने साथ दुष्कर्म होने की आशंका होती थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कौन है वह वीआईपी, जिसके घर पर लालबत्ती की कार खड़ी रहती थी। हालांकि बेहोश पीड़िता उसे पहचानती नहीं होगी, लेकिन अगर वह कुछ साक्ष्य और बता दे तो यह मामला उस वीआईपी तक पहुंच सकता है। लेकिन क्या ऐसा संभव हो पाएगा!
ऐसे में बालिका की काउंसलिंग कर यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि उसे अस्पताल में इलाज के बाद लगभग कितनी दूरी पर घर में ले जाया जाता था, जहां वीआईपी कार खड़ी रहती थी।
अब देखना होगा कि बालिका के आरोपों के अनुसार वह लाल बत्ती वाली कार किसकी है और यह पता लगाने में जांच टीम कामयाब होती है या नहीं? क्योंकि अंकिता भंडारी हत्याकांड में भी एक वीआईपी का नाम साल भर से अधिक समय होने के बाद भी सार्वजनिक नहीं हो सका। ऐसे में बालिका संप्रेषण गृह की बालिका के साथ हुए दुष्कर्म मामले में पीड़िता को न्याय मिलेगा या नहीं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।