उत्तराखंड के सभी विश्वविद्यालयों में अब उच्च शिक्षा विभाग से लोन पर लिए जाएंगे शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कार्मिक – 28 दिसंबर को उप सचिव उच्च शिक्षा, व्योमकेश दुबे द्वारा कुलसचिव सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय को जारी पत्र में सचिव उच्च शिक्षा, उत्तराखंड सरकार की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया है कि विश्वविद्यालयों में समायोजन के पश्चात रिक्त पदों पर वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में उत्तराखंड उच्च शिक्षा विभाग से कार्मिकों को लोन में लिया जाएगा।
विश्वविद्यालय द्वारा २ वर्षों के अंतर्गत नियमित भर्ती कर ली जाएगी एवं नियमित कार्मिक प्राप्त होने के पश्चात उच्च शिक्षा विभाग के कार्मिकों को विभाग को वापस प्रदान कर दिया जायेगा।
यह निर्णय उत्तराखंड उच्च न्यायालय में योजित रिट याचिका अमित जयसवाल बनाम उत्तराखंड उच्च राज्य एवं अन्य में शासन द्वारा माननीय न्यायालय में पक्ष रखा गया है की राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत कार्मिकों को लोन के आधार पर ही विश्वविद्यालय में लिए जाने का निर्णय लिया गया है।
विश्वविद्यालय द्वारा नियमित कार्मिक प्राप्त होने के पश्चात विभाग के कार्मिकों को विभाग को वापस प्रदान कर दिया जायेगा।
पूरा मामला यह है कि शासन द्वारा राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, पिथौरागढ़ एवं राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बागेश्वर को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा का कैंपस बनाया गया।
शासन द्वारा कैम्पस में समायोजन हेतु राजकीय महाविद्यालयों में कार्यरत कार्मिकों से विकल्प मांगे गए जिन कार्मिकों द्वारा विश्वविद्यालय में समायोजन हेतु विकल्प चुना गया उनके समायोजन हेतु विश्वविद्यालय एवं निदेशालय के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित हुआ जिसके अनुसार स्क्रीनिंग कमिटी के गठन हुआ व विश्वविद्यालय एवं निदेशालय द्वारा संयुक्त रूप से साक्षात्कार का आयोजन किया गया जिसमें शासन की अनुमति के बाद 74 सहायक/सह/प्राध्यापकों व 24 शिक्षणेत्तर कार्मिकों का विश्विद्यालय में समायोजन हेतु चयन किया गया व विश्विद्यालय द्वारा समायोजन/ नियुक्ति पत्र चयनित प्रत्येक कार्मिक को उनकी नियुक्ति स्थल में प्रेषित किया गया। विश्विद्यालय में समायोजित कार्मिकों में से प्राध्यापक वर्ग में 49 कार्मिकों एवं शिक्षणेत्तर कार्मिकों में 14 कार्मिकों द्वारा कार्यभार ग्रहण किया गया।
अपर सचिव उच्च शिक्षा द्वारा दिनांक 17 अक्टूबर ,2023 को जारी पत्र में पिथौरागढ़ व बागेश्वर महाविद्यालयों में कार्यरत ऐसे कार्मिक जो विश्वविद्यालय व निदेशालय द्वारा आयोजित स्क्रीनिंग कम साक्षात्कार में सम्मिलित हुए थे व विश्वविद्यालय में समायोजित के इच्छुक हो को समायोजित करने हेतु कुलसचिव से उनकी सूची उपलब्ध करवाने को आदेश दिया है। कुलसचिव द्वारा भी दिनांक 11 अक्टूबर को पिथौरागढ़ वी बागेश्वर परिसर के निदशको से समायोजन चाहने के इच्छुक शिक्षक एक शिक्षणेत्तर कार्मिकों की सूची आख्या सहित पेश करने का आदेश दिया है। पूर्व में आयोजित स्क्रीनिंग कम साक्षात्कार में राज्य से सभी महाविद्यालयों के कार्मिकों को अवसर दिया गया किंतु अब केवल पिथौरागढ़ एवम बागेश्वर के कार्मिकों को अवसर दिये जाने का निर्णय था जिसे समायोजन के इच्छुक कार्मिकों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी इसके पश्चात यह निर्णय लिया गया। विश्वविद्यालय में पूर्व में समायोजित कार्मिक इस निर्णय से प्रभावित नहीं होंगे। पिथौरागढ़ व बागेश्वर में वर्तमान में महाविद्यालय व परिसर एक साथ चल रहे है समायोजित कार्मिक विश्वविद्यालय विश्शविद्यालय के परिसर के कार्मिक है वी पूर्व में महाविद्यालय में कार्यरत कार्मिक महाविद्यालयों के कार्मिक है जिससे “आदेश की एकता” की कमी हो रही है। जब दोनों महाविद्यालयों को कुलाधिपति द्वारा परिसर का दर्जा प्रदान कर दिया गया है तो शासन द्वारा महाविद्यालय के कार्मिकों को अन्य महाविद्यालयों में समायोजित कर दिया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय एक स्वायत्त निकाय है जो शीघ्रातिशीघ्र पदों में नियमित भर्ती कर सकता है जबकि महाविद्यालयों में भर्ती लोक सेवा आयोग द्वारा की जाती है जिसमे औसतन चार वर्षों का समय लग जाता है। विश्वविद्यालय गेस्ट फैकल्टी का चयन एक माह के अंदर भी कर सकता है लेकिन नीति निर्माता इसे विवादास्पद ही रहने देने चाहते है। इस विवाद से लगभग 10000 छात्रो का भविष्य प्रभावित हो रहा है।