बिजेंद्र राणा
दिव्यांगजनों को मुख्यधारा में जोडने के लिए उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय की सराहनीय पहल।
उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय एवं उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (यूसर्क) के सहयोग से राष्ट्रीय दृष्टिबाधित व्यक्ति सशक्तिकरण दिव्यांगजन संस्थान राजपुर रोड देहरादून के अष्टावक्र सभागार में र्गिणत और विज्ञान शिक्षण विधियों में अभ्यास आधारित शिक्षाशास्त्र समावेशित शिक्षा के सन्दर्भ में चुनौतियां और अनुकूलन पर दो दिवसीय कार्याशाला का उद्घाटन डा0 धनसिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड सरकार के कर कमलों द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया।
मुख्य अतिथि डा0 धनसिह रावत का एवं अन्य अतिथियों का कुलपति प्रो0 ओम प्रकाश सिंह नेगी द्वारा स्वागत किया गया। स्वागत भाषण डा0 डी0एस0 फर्स्वाण विभागाध्यक्ष, शिक्षाशास्त्र विद्याशाखा उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा दिया गया। आधुनिक शिक्षा में विशेष शिक्षा के महत्व को बताते हुऐं डॉ0 फर्सवाण ने कहा कि शिक्षा पर प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है तथा विज्ञान व गणित जैसे विषयों के शिक्षण हेतु नए नए तकनीकी का प्रयोग कर उसको समावेशी शिक्षा के लिए आसान बनाना आवश्यक होगा।
मुख्य अतिथि डॉ0 धन सिंह द्वारा NIEPVD के प्राध्यापक डा0 पंकज कुमार, डा0 सिद्धार्थ पोखरियाल एवं प्रो0 विनोद केन द्वारा लिखित ‘समावेशी शिक्षा व समाज‘ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा अपने सम्बोधन में दिव्यांगजनों को समाज का मुख्य नागरिक बताते हुए विश्वविद्यालय से विशेष शिक्षा ग्रहण कर रहे विद्यार्थियों से कहा कि सरकार विशेष शिक्षा अध्यापकों के 285 पदों पर कैबनिट द्वारा प्रस्ताव पारित कर माध्यमिक विद्यालयो में पदों का सजृन करने जा रही है। पूर्व में सरकार के द्वारा विशेष शिक्षा के 480 पदों की विज्ञप्ति प्राथमिक स्तर जारी की गयी है, जिसकी प्रक्रिया गतिमान है। उन्होने कहा कि घर-घर प्रत्येक दिव्यांग व्यक्ति तक सही शिक्षा पहुचे इस हेतु सरकार प्रयासरत है। प्रत्येक दिव्यांगजन को शिक्षा के साथ रोजगार भी मिले इस पर भी कौशल शिक्षा को आगे बढाने का कार्य किया जा रहा है। उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा दिव्यांगता के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले श्रीमती निर्मला देवी, कर्मचारी उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय सहित कई अन्य दिव्यागजनों को सम्मानित भी किया गया।
विशिष्ट अतिथि प्रो0 अनीता रावत निदेशक यूसर्क ने कहा कि आधुनिक शिक्षा को प्रयोगशालाओं के निमार्ण कर आधुनिक तकनीकी के द्वारा प्रत्येक दिव्यांग छात्र- छात्राओं के साथ साथ उनके अभिभावकों को भी प्रक्षिशित करने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि आने वाले समय में वर्चुअल शिक्षण के माध्यम से इसे पूरा किया जायेगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुऐ प्रो0 ओमप्रकाश नेगी, कुलपति, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा कहा गया कि मुक्त विश्वविद्यालय आधुनिक युग में प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा से जोडने हेतु एक प्रभावी व सरल साधन बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड काल में विश्वविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के हितों को देखते हुऐ उनकी सुविधानुसार अपने आपको नयी तकनीकी साधनों के साथ जोडकर प्रत्येक व्यक्ति तक दूरस्थ शिक्षा पहुचाने का कार्य किया गया।
निपवेड के निदेशक ई0 मनीष वर्मा द्वारा विशेष शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे उल्लेखनियां कार्यो की सराहना करते हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त कर धन्यवाद ज्ञापन किया गया।
मंच का सचंालन डा0 सिद्धार्थ पोखरियाल सहायक प्रोफेसर उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। इस अवसर पर डा0 देवकी सिरौला, डा0 सुभाष रमोला, डा0 भावना डोभाल, श्री गोविन्द सिह रावत, श्री अनिल कंडारी, श्री नरेन्द्र जगूडी, श्री सुनील नेगी, श्री वृजमोहन खाती, श्री चन्द्र बल्लभ पोखरियाल, श्री अरविन्द कोठियाल, श्री चेत बहादुर थापा व विशेष शिक्षा के विद्यार्थियों के साथ- साथ दिव्यांगजन संस्थान के प्राध्यापक व देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये हुऐ विशेष शिक्षक-शिक्षार्थी उपस्थित रहे।