गिरीश चंदोला / थराली
थराली मुख्य बाजार में मांस की दुकानों में खुले में मांस काटा जाता है और जो गंदगी रहती है उसको खुलेआम पिंडर नदी में डाला जा रहा है।
पवित्र पिंडर नदी को मांस व्यवसाययों के द्वारा दूषित किया जा रहा है,लेकिन हैरानी की बात यह है कि न तो नगर पंचायत और न ही प्रशासन का ध्यान इस और जा रहा है।
सुबह से लेकर शाम तक थराली मुख्य बाजार से प्रशासन के आलाधिकारी यहां से आवाजाही करते है,लेकिन खुलेआम मानकों को ताक पर रखकर मांस काट कर बेचा जाता है और प्रशासन हाथ पर हाथ रख तमाशा देख रहा है।
मीट व्यापारियों के द्वारा सड़क और सड़क किनारे गंदगी का अंबार लगाया जा रहा है,मस्जिद मार्केट से आवाजाही करना आम जनमानस के लिए दूरभर हो चुका है ।
इससे पहले भी लगातार लोगों के द्वारा मांस की दुकान को अन्य जगह शिफ्ट करने की मांग उठती रही लेकिन इसमें नगर पंचायत थराली नाकाम साबित दिखा।
मांस की दुकानों में सफाई का कोई ध्यान नहीं रखा गया है और यहां से गुजरने वाले लोगों को नाक और मुंह बंद करके निकालना पड़ता है ।
लेकिन न तो लोक निर्माण विभाग और न नगर पंचायत तथा तहसील प्रशासन इन मीट व्यवसाईयों के खिलाफ कोई कार्रवाई आज तक कर पाया।
धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन के उपरांत भी यह दुकाने खुली रहती हैं, लोगो ने पहले भी विरोध किया है, लेकिन खुलेआम मानकों को और सफाई को दरकिनार कर धड़कले से मांस की दुकान संचालित हो रही हैं और 50 मीटर सड़ की स्थिति भी यहां बदहाल हो चुकी है।
लेकिन लोक निर्माण विभाग भी कुंभकर्णी नींद से आज तक नहीं जागा ,मांस काटने के बाद उसकी गंदगी को रात के अंधेरे का फायदा उठाकर पवित्र पिंडर नदी में डाला जाता है जबकि धार्मिक आयोजनों पर पिंडर नदी का जल लोगों के द्वारा धार्मिक आयोजन में लाया जाता है।
धार्मिक कार्यों में गंगाजल का उपयोग विशेष माना जाता है, लेकिन मांस व्यवसाय इस तरह की हरकत कर रहे हैं और प्रशासन कुंभकर्णी से कब जागेगा यह भी एक बड़ा सवाल अपने आप में है।