सड़क पर बिछी चांदनी सी बर्फबारी के बीच बाइकिंग का आनंद लीजिए। उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी में। 26 से 29 जनवरी 2018।
गिरीश गैरोला
पहाड़ की खूबसूरत वादियों को चार धाम यात्रा के चश्मे से हट कर देखिए । यहां कड़कती सर्दी में भी बहुत कुछ है जिसे एहसास किए बिना समझना मुश्किल है । पहाड़ों में विंटर टूरिज्म डेवलप करने के उद्देश्य से शुरू किया गया स्नो स्टॉर्म 2018 वेयर ईगल डेयर के तिलक सोनी द्वारा हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी आयोजित किया जा रहा है । जिसमें देश भर के बाइकर्स बर्फबारी के बीच बाइक चलाने और विपरीत परिस्थितियों में मौसम के अनुकूल जीने की कला (सरवाइवल स्किल) का प्रशिक्षण लेंगे । व्हेर इगल डेयर के तिलक सोनी ने बताया कि 23 जनवरी की रात से भारी वर्षा और 24 जनवरी को मध्यम वर्षा हो सकती है जिसके बाद उत्तरकाशी के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी की संभावना है । लिहाजा इस वर्ष ड्राइविंग वर्क शॉप 26 जनवरी से 29 जनवरी तक हरसिल – धराली क्षेत्र में की जाएगी । जिसमें जाने-माने एक्सपर्ट ग्राउंड पर प्रतिभागियों को प्रशिक्षण देंगे इस दौरान देश भर से 25 प्रतिभागी बर्फ में बाइक चलाने और सर्वाइवल स्किल्स के गुर सीखेंगे, जिन्हें इंस्पेक्टर संदीप गोस्वामी, विवेक शर्मा और तिलक सोनी मौके पर ही प्रशिक्षण देंगे।
इस दौरान फोर बाई फोर की एक जीप सभी साजो सामान और उपकरणों के साथ सुसज्जित होकर चलती है ताकि यदि कोई बाइक बीच मार्ग में खराब हो जाए तो उसे ठीक करने की पूरी व्यवस्था इस जीप में मौजूद होती है ।मौसम और परिस्थितियों के अनुरुप बद्रीनाथ रूट पर भी बाइकर्स को इसी तरह का प्रशिक्षण दिया जाता है ।
गर्मियों की चार धाम यात्रा से हटकर शीतकाल की कड़कति सर्दी के बीच सड़क में बिछी बर्फबारी के बीच बाइक चलाना अपने आप मे रोमांच पैदा करने वाला स्पोर्ट्स है जिसके रोमांच को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, बस इसका एहसास मौके पर ही किया जा सकता है।
तिलक सोनी की माने तो उत्तरकाशी के हरसिल धराली क्षेत्र में 26 जनवरी के आसपास हर वर्ष बर्फवारी होती है । इस दौरान छुट्टियों का मौसम भी होता है ।वीकेंड में बाइक के शौकीन अपने घरों से निकलकर रूटीन जिंदगी की ऑफिशियल थकान मिटाने के लिए पहाड़ों का रूख करते हैं । उन्होंने बताया कि बद्रीनाथ रुट पर 6 जनवरी को देहरादून में सूबे के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनके दल को फ्लैग ऑफ किया था। 7 जनवरी को माणा- मलारी क्षेत्र में और 8 को बद्रीनाथ माणा होते हुए कर्णप्रयाग तक इसी तरह से ग्रुप के प्रतिभागी बाइकिंग का आनंद ले चुके हैं।
ग्रुप में प्रतिभागियों की संख्या पूर्व से निर्धारित होती है ऑफ सीजन के चलते ऊपरी इलाकों में बिजली – पानी और रहने की व्यवस्था सीमित होती है ।प्रतिभागियों के खाने पीने की व्यवस्था भी पूर्व निर्धारित होता है ।और उसी अनुरूप पहले से ही निर्धारित समान लेकर आगे बढ़ा जाता है।
स्वर्ग से सुंदर पहाड़ की आभा को देखने और परखने के लिए पहाड़ जैसा दिल और पक्का इरादा बेहद जरूरी है । पहाड़ों की खूबसूरती के दर्शन के लिए भले ही पर्यटन विभाग आज तक कुछ खास नहीं कर पाया हो किंतु पर्यटन को अपना क्रेज बना कर बना चुके कुछ युवाओ ने पहाड़ में पर्यटन की एक नई परिभाषा गढ़ने शुरू कर दी है।