कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने अधिवक्ताओं(वकील)की हड़ताल मामले में अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि अगर वकील हड़ताल करते हैं तो वे अवमानना के दोषी माने जाएंगे। खण्डपीठ ने राज्य के अन्य न्यायालयों के कार्यों में बाधा डालने पर प्रदेश के सभी एस.एस.पी.को निर्देश दिए हैं कि न्यायालयों को पुलिस शुरक्षा प्रदान करें।
देखिए वीडियो (कार्तिकेय हरि गुप्ता, अधिवक्ता याचिकाकर्ता)
मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने ईस्वर सांडिल्य की वर्ष 2016 की जनहित याचिका में आज अपना फैसला सुनाते हुए हड़ताल को गैरकानूनी बताया और देहरादून, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिले की बार को हर शनिवार को कार्य बहिष्कार वापस लेने को कहा।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता ने बताया कि न्यायालय ने स्ट्राइक वापस लेने के साथ, ऐसा करने वालों के खिलाफ राज्य बार काउंसिल को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। कार्तिकेय के अनुसार न्यायालय ने कहा कि कोई भी बार एसोसिएशन और सरकारी अधिवक्ता, किसी अधिवक्ता के परिजनों कि मृत्यु अथवा कोई और कार्य होने पर न्यायालय से अनुपस्थित नहीं रह सकता है। न्यायालय ने जिला जजों से कहा है कि अगर कोई भी अधिवक्ता या बार एसोसिएशन कार्य बहिष्कार करते हैं तो इसकी रिपोर्ट बनाकर उच्च न्यायालय भेजी जाए तांकि उनपर अवमानना की कार्यवाही की जा सके। न्यायालय ने सभी मैजिस्ट्रेट को कहा है कि अगर वो किसी केस में अधिवक्ता की गैर मौजूदगी किसी स्ट्राइक के कारण मानते हैं तो वो अपना निर्णय एकतरफा सुना सकते हैं ।