देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने कार्यकाल के दौरान 16060 करोड़ रुपए कर्ज लेना पड़ा है। ऐसे में अब प्रदेश की जनता लगभग 2800 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष कर्ज का ब्याज चुकाएगी। हालांकि इससे पूर्ववर्ती सात मुख्यमंत्रियों के समय 2016-17 तक प्रदेश पर 208३2 करोड़ रुपए बाजारू कर्ज था।
उल्लेखनीय है कि जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम का कार्यभार ग्रहण किया था, तब 208३2.21 करोड़ रुपए बाजारू कर्ज था। जिस कर्ज में कटौती करने के बजाय इसे बढ़ाकर देश के सर्वश्रेष्ठ सीएम एवं जीरो टोलरेंस के महानायक त्रिवेंद्र रावत ने ३३,701.50 करोड़ (३1.12./2019 तक) कर दिया।
प्रदेश को लगभग 2800 करोड़ प्रतिवर्ष ब्याज के रूप में चुकाने पड़ रहे हैं, जिसका सीधा-सीधा कारण यह है कि जो राजस्व सरकारी खजाने में जाना चाहिए था, वो इनकी जेबों में जा रहा है।
हैरानी की बात यह है कि त्रिवेंद्र रावत द्वारा लिए गए ऋण से कोई नए निर्माण/विकास कार्य नहीं हुए हैं, यह सिर्फ और सिर्फ अयोजनागत मद में खर्च हुए हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार से लिए गए ऋण की अदायगी एवं उसका ब्याज अलग से चुकाना बाकी है। ऐसी परिस्थितियों में, जब प्रदेश कर्ज में डूब गया हो तथा दिवालिया होने की कागार पर हो तो प्रदेशवासियों का क्या होगा, सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
इस संबंध में जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने भी बकायदा बयान जारी कर कहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने अपने कार्यकाल में 16060 करोड़ रुपए बाजारू कर्ज लेकर पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों का 16 वर्ष का एक साथ रिकॉर्ड तोडऩे का काम किया है।