रिपोर्ट/राजकुमार सिंह परिहार
अल्मोड़ा:
चितई निवासी एक युवक ने अल्मोड़ा पुलिस पर अकारण 16500 रूपये के चालान का आरोप लगाया है,साथ ही चितई के ग्वेल देवता मंदिर में भी न्याय की गुहार लगाते हुए चिठ्ठी टांगी है।
मिशन हौसला जैसे सफल अभियानों को चलाकर इस कोरोना काल में उत्तराखंड पुलिस लगातार अपनी छवि सुधारने मे लगी हुई है।
जहां एक ओर पूरे प्रदेश मे पुलिस जरुरतमंदो की मदद करती नजर आ रही है वही अल्मोड़ा का ये पीड़ादायी वाक्या भी सामने आया हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक में की गई पोस्ट में दीपक सिराड़ी ने कहा कि, वह गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है और एक होटल में बर्तन मांज कर परिवार की आजीविका चलाता है। होटल में उसे मात्र 2500 रुपए प्रति महीने तनख्वाह के रूप में मिलते हैं।
कोरोना महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों ने उसका व्यवसाय भी छीन लिया है और इस लॉकडाउन से वह बहुत ज्यादा तनाव में है और लॉकडाउन के कारण वह अपने परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ हो गया है।
दीपक सिराड़ी ने फेसबुक में की गई पोस्ट में कहा कि,कल 25 मई की सुबह से ही उसकी तबीयत कुछ खराब लग रही थी और उसके बाद उसने अपने पड़ोस के एक साथी से उसकी बाइक मांगी और अल्मोड़ा चिकित्सालय में खुद को दिखाने चला गया।
कुछ देर बाद उसके घर से फोन आया कि, पड़ोस में आमा का स्वास्थ्य अचानक से खराब हो चला है और उससे प्रकाश मेडिकल स्टोर से दवा लेकर जल्दी घर आने को कहा गया।
दीपक ने कहा कि, इसके बाद जल्दी में बाइक लेकर वह दवा लेकर घर की ओर आने लगा। इस जल्दबाजी में हेलमेट न पहनने की भूल हो गई।
उसने आरोप लगाया कि, इसी बीच होटल शिखर के पास उसे पुलिस कर्मियों ने बुरी तरह जलील करते हुए इस तरह से घसीटा गया जैसे कि वह बहुत बड़ा अपराधी हो।
दीपक ने आरोप लगाया कि, उसने पुलिसकर्मियों के आगे हाथ जोड़ते हुए बार बार गुहार लगाई कि उसे छोड़ दो।
उसने बताया कि, इसके बाद बाइक को सीज कर दिया गया और साथ ही इतनी सारी धाराएं लगाई गई कि, वह खुद देखकर हैरान रह गया।
आरोप लगाया कि, इनमें से कई धाराएं ऐसी थी जो कि बिल्कुल बेबुनियाद थी और उसने उन धाराओं का उल्लंघन भी नहीं किया था, परन्तु पुलिस प्रशासन द्वारा तानाशाही रवैया अपनाते हुए उसके साथ गलत व्यवहार करने के बाद बाइक को सीज कर दिया गया।
दीपक ने कहा है कि, वह सभी से हाथ जोड़ कर न्याय की गुहार लगा रहा है और वह और उसकी माँ दोनों इस घटना के कारण तनाव में है और गाड़ी छुड़ाने के लिये किया गया जुर्माना वह नहीं चुका सकता है।
इधर इस मामले में पूछे जाने पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज कुमार भट्ट ने बताया कि, यह घटना उनके संज्ञान में आई है और युवक कई तरह के आरोप लगा रहा है। जिसकी जांच के लिये उन्होंने सीओ को निर्देशित कर दिया है।
उन्होने बताया कि, आरोप लगाने वाले युवक दीपक सिराड़ी के पास वाहन के रजिस्ट्रेशन के कागज ही नही थे उसके अलावा कई कागज, हेलमेट आदि मौजूद नहीं थे और नियमानुसार ही चालान काटा गया है।
कहा कि नियम के अनुसार ,अगर युवक 24 घंटे के भीतर चालान के अनुसार कागज उपलब्ध करा देगा तो उसी अनुसार जुर्माने की रकम भी कम हो जायेगी।
उन्होंने कहा कि, युवक द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कराई जा रही है और पुलिस उपाधीक्षक मातवर सिंह रावत को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।