थराली। केंद्र सरकार या राज्य सरकार भले ही बेटियों की महत्वाकांक्षी योजनाओं को समय-समय पर धरातल पर उतारने की बात करती हो, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। भाजपा सरकार में बेटियों की महत्वाकांक्षी योजनाएं इन दिनों दम तोड़ती नजर आ रही है।
देवाल विकासखंड के ग्रामीण सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। दफ्तरों के चक्कर काटते काटते ग्रामीण थक हारे और अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं। सरकारी सिस्टम इतना लापरवाह हो चला है कि ग्रामीणों को आये दिन दफ्तरों के चक्कर काटने पढ़ते हैं, लेकिन बैरंग ही घर को लौटना भी पड़ता है।
केंद्र सरकार भले ही देश की बेटियों के लिए लगातार महत्वकांक्षी योजनाएं लागू कर उन्हें बेटो के बराबर और समानता में खड़े करने के हरसंभव प्रयास कर रही हो, विभिन्न योजनाएं सरकार बेटियों की उच्च शिक्षा, विवाह और पोषण तक कि लागू कर रही है, लेकिन चमोली जिले के दूरस्थ विकासखण्ड देवाल में अफसरों और कर्मचारियों की लापरवाही के चलते सरकार ये महत्वकांक्षी योजनायें परवान नही चढ़ पा रही हैं। नाफरमान कर्मचारियों की सुस्ती ऐसी की केंद्र सरकार की ये योजनाएं देवाल विकासखण्ड में ओंधे मुंह गिर रही हैं। पिछले कई सालों से लाभार्थियों को इन योजनाओं का लाभ नही मिल पाने से सरकार की बेटियों के हित में लागू की गई ये योजनाएं फिलहाल ठंडे बस्ते में हैं।
हम बात कर रहे हैं देवाल विकासखण्ड की उन बेटियों की जिनके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू तो हैं, लेकिन जागरूकता के अभाव में और कर्मचारियों की सुस्ती के चलते फिलहाल इन लाभार्थियों को इन योजनाओं का कोई लाभ मिलता नजर नही आ रहा है।
पिछले कई सालों से इन बेटियों के माता पिता लगातार दफ्तरों के चक्कर ही काट रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही नंदा देवी कन्या धन योजना का लाभ 2012-13-14 के लाभार्थियों को आठ साल बाद भी नही मिल पाया है। देवाल विकासखण्ड में लगभग 66 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमे लगभग 150 से अधिक लाभार्थियों को अभी भी इन योजनाओं का लाभ नही मिल सका है। इन बेटियों के माता पिता सैकड़ों बार बाल विकास परियोजना कार्यालय नन्दकेशरी में आवेदन पत्र जमा कर चुके हैं, लेकिन हर बार आवेदन पत्र जमा करने के बाद जवाब सुनने को मिलता है कि हमने दस्तावेज आगे भेजे हैं, लेकिन बजट के अभाव में अभी योजना का लाभ नही मिल सकता है।
इन आवेदक बेटियों के अभिभावकों से बात करने के बाद हमारी टीम नन्दकेशरी स्थित बाल विकास परियोजना के कार्यालय में भी पहुंची। हमने यहां ये जानने की कोशिश भी की कि आखिर किन कारणों से इन लाभार्थियों को इतने वर्षों बाद भी योजना का लाभ क्यो नहीं मिल सका, लेकिन सरकारी दफ्तरों का आलम ये था कि दफ्तर में एक भी नियमित कर्मचारी हमारे सवालों का जवाब देने के लिए मौजूद नहीं था। दफ्तर का ताला तो खुला था, लेकिन खाली कुर्सियों ओर आउटसोर्सिंग के दो कर्मचारियों के सिवाय कोई भी दफ्तर में मौजूद नहीं था। आउटसोर्सिंग के दोनों कर्मचारियों ने भी छूटे हुए लाभार्थियों के बारे में कोई भी जानकारी नही होने की बात कही, फिर स्थानीय लोगो से जानने की कोशिस की तो हालांकि स्थानीय लोगो ने भी कैमरे के सामने तो विभाग की हकीकत बयान नही की, लेकिन दबी आवाज जो हकीकत बताई वो चौकानें वाली थी।
जानकारी में पता चला कि सरकार द्वारा चलाई जा रही कई महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी आमजन तक पहुंचाई ही नही जाती है। साथ ही ये भी मालूम हुआ कि बाल विकास परियोजना कार्यालय में तैनात बाबू ओर सुपरवाइजर अक्सर छुट्टी पर ही रहते हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचाई जाने वाली अधिकतर सामग्री लंबे समय से कार्यालय में ही धूल फांक रही है। सूत्र तो ये भी बताते हैं कि यहां तैनात बाबू साहब महीने में 15 दिन गायब ही रहते हैं।
ऐसे में कैसे देवाल की बेटियां इन योजनाओं का लाभ उठा पाएंगी कैसे इन बेटियों के आवेदन कार्यालय में जमा हो पाएंगे या फिर कार्यालय में सुरक्षित रह पाएंगे, ये कहना जरा मुश्किल है, हालांकि हमने बाल विकास परियोजना की सुपरवाइजर सत्यवती से टेलीफोन पर जो जानकारी ली, उसमे उन्होंने बताया कि लगभग 150 लाभार्थियों को अभी भी नंदा देवी कन्याधन योजना का लाभ नही मिल पाया है।
इसके पीछे उन्होंने वजह सरकार के पास पर्याप्त बजट न होना बताया। इन बेटियों के अभिभावक, इन योजनाओं के लाभ लेने के लिए कई बार दफ्तरों के चक्कर लगा चुके हैं। जिलाधिकारी से लेकर जिला कार्यक्रम अधिकारी को तक सूचित कर चुके हैं। cm हेल्पलाइन पर शिकायत भी कर चुके हैं। बावजूद इसके इन लाभार्थियों को इन योजनाओं का अभी तक लाभ नही मिल सका है, जिससे कहा जा सकता है कि केंद्र सरकार की ये महत्वकांक्षी योजनायें देवाल विकासखण्ड में फिलहाल दम तोड़ती नजर आ रही हैं।